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28 May 2024 · 1 min read

अतिथि की तरह जीवन में

अतिथि की तरह जीवन में
दुख सुख की बयार आती है
एक के बाद ही एक सही
पतझड़ तो कभी बहार आती है
प्रकृति का यह अटल सत्य है।
तपती गर्मी के बाद ही तो
सावन की शीतल फुहार आती है।

-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’

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