Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2024 · 2 min read

हवा,धरती,पानी और आग की सीख

हवा की सीख”
चाहूं मैं सबसे ये कहना हवा की तरह सदा ही बहना।
जीवन की सब उपयोगी चीजें सदा संग में ढोते रहना।
‘खुशबू’ का बिखराव हवा से ‘बदबू’ का ठहराव हवा से।
जितना लाभ है शुद्ध हवा से उतना नहीं विशुद्ध दवा से।
हल्की हवा गगन में छाई बादल संग ऊंची पदवी पाई।
शीतल हवा भूमि निअराई वातावरण की महिमा गाई।
कोई ठोस कहीं से खिसके रोता शिशु कहीं भी सिसके।
हवा उसीकी ओर खिसके अंग को पड़े जरूरत जिसके।
हवा ही प्राणवायु की वाहक इसीलिए सब इसके ग्राहक।
अनल,अनिल के अगणित ग्राहक ये होते हैं ईंधन दाहक।
ये मंद बहें तब दीप जलें ! अरु तेज बहें तब दीप बुझें।
अनिल उष्ण को शीतल कर दे अरु शीतल को उष्णित।
समसामयिकी भाव जगाके जन-जन को कर दे विस्मित।

“धरती की सीख”
सूर्य अगनी पवन धरनी सभी जल को सुखाते हैं।
मगर हैं धन्य वो बादल जो नभ में जल छुपाते हैं।
न सूरज तक पहुंचता जल न अगनी झेल पाती है।
न पवनों को संघनित जल भरी बदरी सुहाती है।
भूमि पर उपलब्ध जल फिर शुद्ध हो पाए तो कैसे ?
इसलिए प्यासे मनुज को धरनि सरबस लुटाती है।
अशुद्धि जो घुलित जल में उसे दिल से लगाती है।
वाष्पन , संघनन करके वो खुद को भी डुबाती है।
यही सब प्रक्रिया करके धरनि सबको दिखाती है।

” पानी की सीख”
ज्ञान कभी नहीं छुप कर बैठा आओ सीख लें पानी से।
रुको न सुगम राह की खातिर बढ़ते चलो आसानी से।
ज्ञान पिपासा रखते हैं ज्ञानी सार्वभौम विलायक पानी।
तीन अवस्थाएं पानी की कल कल करके बहता पानी।
धीरज धारण करना सीखो बढ़ते ताप उबलना सीखो।
जीरो डिग्री सेल्सियस पर छलनी में भी रुकता पानी।
कंद, मूल, फल से पाया हो या गागर से पाया पानी।
नदी तड़ाग कूप में होकर फिर सागर में जाता पानी।
जहां जरूरी होता पानी हवा के साथ पहुंचता पानी।
पानी से तन को दूर रखा तो मन में हुई बहुत हैरानी।
तन से दूर करोगे पानी तो जीवन की खत्म कहानी।
“आग की सीख”
🔥🔥🔥🔥🔥🔥
कागज को ज्वाला पर रखो ! कागज जलकर होता राख।
यदि कागज में पानी भर दो बढ़ जाती कागज की साख।।
अब कागज को जब देते ऊष्मा तब पानी बन जाता भाप।
अरु उड़कर भाप बनाती बादल जो बनता बूंदों का बाप।।
अब बूंदें फिर से जल बन करके सांचे मीत सी छोड़ें छाप।
अवस्था परिवर्तन भी होता स्वयं में सम्मानित भी ताप।।
आओ ! समझें अरू समझाएं ज्वलन ताप का मर्म बताएं।

Language: Hindi
1 Like · 170 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

keep some Boundaries..some boundaries are healthy and they h
keep some Boundaries..some boundaries are healthy and they h
पूर्वार्थ देव
" शब्द "
Dr. Kishan tandon kranti
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
अवध किशोर 'अवधू'
🧟‍♂️मुक्तक🧟‍♂️
🧟‍♂️मुक्तक🧟‍♂️
*प्रणय प्रभात*
मेरे लहज़े मे जी हजूर ना होता
मेरे लहज़े मे जी हजूर ना होता
Ram Krishan Rastogi
सांसारिक जीवन का अर्थ है अतीत और भविष्य में फंस जाना, आध्यात
सांसारिक जीवन का अर्थ है अतीत और भविष्य में फंस जाना, आध्यात
Ravikesh Jha
मन को सम्भाले मन का कोई चेहरा नहीं है, आत्मा का भी कोई चेहरा
मन को सम्भाले मन का कोई चेहरा नहीं है, आत्मा का भी कोई चेहरा
Shashi kala vyas
महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस
महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस
Anop Bhambu
भक्त जन कभी अपना जीवन
भक्त जन कभी अपना जीवन
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"यदि जीवन को खेल मानते हो , तो पूरे उत्साह से दम लगाकर खेलो
Likhan
- तुम्हारी व्याख्या -
- तुम्हारी व्याख्या -
bharat gehlot
पंखो सी हलकी मुस्कान तुम्हारी ,
पंखो सी हलकी मुस्कान तुम्हारी ,
Manisha Wandhare
सुनो, मैं जा रही हूं
सुनो, मैं जा रही हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मन की प्रीत
मन की प्रीत
भरत कुमार सोलंकी
1212 1122 1212  112
1212 1122 1212 112
sushil yadav
आसमाँ पर तारे लीप रहा है वो,
आसमाँ पर तारे लीप रहा है वो,
अर्चना मुकेश मेहता
चलो कुछ कहें
चलो कुछ कहें
Dr. Rajeev Jain
मुक्ती
मुक्ती
Mansi Kadam
गजल ए महक
गजल ए महक
Dr Mukesh 'Aseemit'
* सामने आ गये *
* सामने आ गये *
surenderpal vaidya
ग़ज़ल (बिन रोशनाई लिख दी ज्यो चाँद ने रुबाई)
ग़ज़ल (बिन रोशनाई लिख दी ज्यो चाँद ने रुबाई)
डॉक्टर रागिनी
पिता का अभिमान बेटियाँ
पिता का अभिमान बेटियाँ
उमेश बैरवा
कोई तुझे बदमाश कोई संत कहेगा
कोई तुझे बदमाश कोई संत कहेगा
आकाश महेशपुरी
माँ-बाप का कर्ज़
माँ-बाप का कर्ज़
Sagar Yadav Zakhmi
फिर कुछ अपने
फिर कुछ अपने
Chitra Bisht
तन्हा लोग
तन्हा लोग
Surinder blackpen
अब ये हाथ मुझे चुभने लगे हैं
अब ये हाथ मुझे चुभने लगे हैं
Jyoti Roshni
समझ
समझ
मधुसूदन गौतम
यह मत
यह मत
Santosh Shrivastava
बचपन
बचपन
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Loading...