Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 1 min read

*भूल कर इसकी मीठी बातों में मत आना*

भूल कर इसकी मीठी बातों में मत आना।
उसके लबों पे ज़हर है,कहीं चख न जाना।

वो सच को दफना कर उत्सव मना रहे हैं,
यह गीत भी रूदन है ,तुम इसे मत गाना।

ये लोग तो दरिंदे हैं ,इनमें दया धर्म नहीं है,
बेशक इन्होंने ओढ़ रखा है धर्म का बाना।

वो घात लगा कर उस पर्दे के पीछे बैठे हैं,
तुम निशब्द चले जाओ सामने मत आना।

उन्हें तेरा हंसना,खिलखिलाना रास नहीं है,
तुम अपने चेहरे पर मुस्कराहट मत सजाना।

तुम इन लोगों से कोई भी उम्मीद न रखना,
हर युग में,हर काल में,रहे संगदिल है ज़माना।

ये लोग तेरी किसी बात से सहमत नहीं होंगे,
तुम अपने ज्ञान की डुगडुगी कतई न बजाना।

बुरा वक्त है,वक्त के अनुसार खुद को ढाल ले,
इनके बीच रहकर तुम,कद्र हरगिज़ न गँवाना।
_________________________
सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।

Language: Hindi
195 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

शीर्षक – रेल्वे फाटक
शीर्षक – रेल्वे फाटक
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
Rambali Mishra
*मौत मिलने को पड़ी है*
*मौत मिलने को पड़ी है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
उसे लगता है कि
उसे लगता है कि
Keshav kishor Kumar
माता अनुसूया
माता अनुसूया
मनोज कर्ण
..
..
*प्रणय प्रभात*
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
गम
गम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
तुम धूप में होंगी , मैं छाव बनूंगा !
तुम धूप में होंगी , मैं छाव बनूंगा !
The_dk_poetry
कलाकार
कलाकार
Shashi Mahajan
#ਸਭ ਵੇਲੇ - ਵੇਲੇ ਦੀ ਗੱਲ ਲੋਕੋ
#ਸਭ ਵੇਲੇ - ਵੇਲੇ ਦੀ ਗੱਲ ਲੋਕੋ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
समर्पण.....
समर्पण.....
sushil sarna
वक्त सबको पहचानने की काबिलियत देता है,
वक्त सबको पहचानने की काबिलियत देता है,
Jogendar singh
*पृथ्वी दिवस*
*पृथ्वी दिवस*
Madhu Shah
सहारे
सहारे
Kanchan Khanna
24/232. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/232. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धरती सा मैं अम्बर सी तुम।
धरती सा मैं अम्बर सी तुम।
Amber Srivastava
मेरी अर्थी🌹
मेरी अर्थी🌹
Aisha Mohan
पराया
पराया
Mansi Kadam
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गंगा दशहरा
गंगा दशहरा
Seema gupta,Alwar
*यह समय घोर कलयुग का है, सोचो तो यह युग कैसा है (राधेश्यामी
*यह समय घोर कलयुग का है, सोचो तो यह युग कैसा है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
सुख- दुःख
सुख- दुःख
Dr. Upasana Pandey
"वो जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
भाड़ में गई दुनिया
भाड़ में गई दुनिया
विजय कुमार अग्रवाल
हीरा
हीरा
Poonam Sharma
कोई काम करना मुश्किल नही है
कोई काम करना मुश्किल नही है
पूर्वार्थ
नव वर्ष क्यू मनाते हो
नव वर्ष क्यू मनाते हो
Satyaveer vaishnav
Loading...