Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 1 min read

मंथन

मंथन एक प्रक्रिया है कारगर.
जिससे निकलती है अच्छाई ही उत्तरोत्तर.
मंथन से निकलता है पहले गरल.
अंत मे निकलता है अमृत तरल.
हर चीज मे छुपे होते है अच्छे बुरे तत्व.
मंथन करणे से ही होता है अलग सत्व.
मन मे भी आते जाते है अच्छे बुरे विचार.
घटना व्यक्ती स्थिती होती है उनका आधार.
गतानुभवो का भी होता है उनमे स्थान.
जैसे होते है अनुभव वैसेही होते है विचार निर्माण.
इसीलिए हमे करना चाहिए वैचारिक मंथन.
तभी होगा उनमे से बुरे विचारो का दोहन.
मंथन के लिए चाहिए होती है बुद्धीरुपी मथनी.
बुद्धी की कसोटीपर करणी चाहिये विचारो की छाटणी.
मंथन से निकलता है पहले मल.
यही होता है बुरे विचारो का गरल.
गरलरूप से निकलता है जमा हुआ कचरा.
और धीरे धीरे होते जाता है बुरे विचारो का निचरा.
जब हॊ जाता है जमा हुये हलाहलका दोहन.
तब निर्माण होता है मन मे सकारात्मक रुझन.
मंथन से होता है सारासार विवेक जागृत.
और बुराई की ओर होता नही मन प्रवृत्त.
अंतकरण मे उत्पन्न होती है शांती और समाधान..
और भविष्य में होता नही कभी बुरे विचारो का व्यवधान.
मनसे निकल जाता है जब अशांतिका सुंभ.
वही है मंथनका सार रुपी अमृतकुंभ.

150 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mukund Patil
View all

You may also like these posts

हाथ थाम लो मेरा
हाथ थाम लो मेरा
Dr. Rajeev Jain
वक्त के आगे
वक्त के आगे
Sangeeta Beniwal
प्रेरक प्रसंग
प्रेरक प्रसंग
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
क्यों नहीं लोग.....
क्यों नहीं लोग.....
Ajit Kumar "Karn"
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
रिश्तों में अपनापन का अहसास होता है ।
रिश्तों में अपनापन का अहसास होता है ।
DR. RAKESH KUMAR KURRE
Conscience
Conscience
Shyam Sundar Subramanian
🙅यक़ीन मानिए🙅
🙅यक़ीन मानिए🙅
*प्रणय प्रभात*
मुफ्त का चंदन
मुफ्त का चंदन
Nitin Kulkarni
Children's is the chacha Nehru Fan.
Children's is the chacha Nehru Fan.
Rj Anand Prajapati
कब आयेंगे दिन
कब आयेंगे दिन
Sudhir srivastava
खत्म न हो सकी कभी
खत्म न हो सकी कभी
Dr fauzia Naseem shad
खुद से है दूरी  मीलो की...
खुद से है दूरी मीलो की...
Priya Maithil
सत्य की खोज
सत्य की खोज
ललकार भारद्वाज
*धारा सत्तर तीन सौ, स्वप्न देखते लोग (कुंडलिया)*
*धारा सत्तर तीन सौ, स्वप्न देखते लोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
एक दिन चुक जाएगी
एक दिन चुक जाएगी
Saraswati Bajpai
कविता
कविता
Nmita Sharma
भरोसा उठ गया, जिंदगी तुझसे।
भरोसा उठ गया, जिंदगी तुझसे।
श्याम सांवरा
हमको भी कभी प्रेम से बुलाइए गा जी
हमको भी कभी प्रेम से बुलाइए गा जी
कृष्णकांत गुर्जर
* सागर किनारे *
* सागर किनारे *
भूरचन्द जयपाल
भाग्य
भाग्य
लक्ष्मी सिंह
" सावन "
Dr. Kishan tandon kranti
उकेर गई
उकेर गई
sushil sarna
दाता
दाता
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
ख़िलाफ़ खड़े सिर कुचल दिए, इसान थोड़ी है
ख़िलाफ़ खड़े सिर कुचल दिए, इसान थोड़ी है
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाये
व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाये
शेखर सिंह
माता से बढ़कर नही गुरूवर कोई होय
माता से बढ़कर नही गुरूवर कोई होय
Dr Archana Gupta
4501.*पूर्णिका*
4501.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हे मां शारदे ज्ञान दे
हे मां शारदे ज्ञान दे
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मासूम कोयला
मासूम कोयला
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
Loading...