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26 May 2024 · 1 min read

सफ़र जिंदगी के…..!

” इस सफ़र के छोर कहाँ तक है…
कुछ पता नहीं….!
ये बंधन के डोर मजबूत है कितनी…
कुछ पता नहीं….!
ये सांसों के स्पंदन कब तक है…
कुछ पता नहीं….!
तेरे-मेरे विचार मिलते हैं कितनी…
कुछ भी पता नहीं….!
पर मालूम है कि मुझे…
कुछ कदम तेरी है…
कुछ कदम मेरा है, इस सफ़र में…!
है कहाँ विश्राम..?
कौन है साथ अपने..? इस सफ़र में…
कुछ पता नहीं…!
कौन है पराये..?
कौन है अपने..? इस सफ़र में…
कुछ भी पता नहीं…!
लेकिन मालूम है कि मुझे…
कदम अपने…
कुछ डगमगायेंगे,
चलते-चलते पांवों में अपने…
कुछ छाले पड़ जायेंगे, इस सफ़र में…!
शिकवा और शिकायत होंगे…
हर कदम-कदम पर, इस सफ़र में…!
फिर भी हमें…
साथ-साथ चलने होंगे, इस सफ़र में…!
और कुछ तय समय में ही…
लंबी दूरी चलने होंगे, इस सफ़र में…!

**********∆∆∆*********

Language: Hindi
1 Like · 197 Views
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