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25 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

अब ये चर्चा आम बहुत है।
राजनीति बदनाम बहुत है।।

बढ़ती जनसंख्या के कारण,
जगह-जगह पर जाम बहुत है।

यदि सरकारी नौकर हैं तो,
जीवन में आराम बहुत है।

अम्मा दिन भर खटती रहती,
कभी न कहती काम बहुत है।

रोज कमाने- खाने वाला,
नहीं देखता घाम बहुत है।

दौर- ए- इंटरनेट के बच्चे,
दुनिया का इल्हाम बहुत है।

सुंदर सुबह बनारस की तो,
मस्त अवध की शाम बहुत है।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 158 Views
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