Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 May 2024 · 1 min read

*मैं पक्षी होती

एक शुष्क सी डाली पर
एक पक्षी का जोड़ा
आसमानी आसमां में
बंद आंखों से
एक दूसरे में खो रहा था
प्यार का एक नया गीत
बो रहा था
काश मैं भी
एक ऐसी पक्षी होती
ना कहीं ईष्र्या
ना कहीं जलन होती
नाप आती अपने पंखों से
उस नीले आसमां को
उसे नापने के लिए
दूसरे पंखों की जरूरत ना होती
साथी के साथ प्यार गीत गाती
अपनी निश्चल प्यार से
अपनी आवाज से
सब को लुभाती
मानव दिलो में
एक नया प्रेम जगाती
मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह

Loading...