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23 May 2024 · 1 min read

धरती को तरुओं से सजाना होगा

सूखती नदियां
उजड़ते जंगल
वन्य जीवों का विलुप्त होना
पहाड़ों का खनन
किसी बड़े संकट का संकेत है
विकास नहीं विनास है
कभी प्रकृति को मां कहा जाता था
आज उसी मां के आभूषणों को
बेचा जा रहा है बाजार में
मां की ऐसी उपेक्षा
बन जाए अभिशाप एक दिन
इससे पहले मानव को
उसे सजाना होगा
प्रकृति हमारी धरोहर है
उसे बचाना होगा
बच्चे, युवक, बूढ़े सबको यह
समझाना होगा
तभी सुखद भविष्य की कल्पना साकार होगी
प्रदूषण के इस दौर में
बीमारियों से स्वयं को बचाना होगा
धरती को तरुओं से सजाना होगा

Language: Hindi
213 Views
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