Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2024 · 1 min read

आने वाला कल

आने वाला कल

जीने की चाहत
व्यथाओं से आहत
इस तरह
आज होती जा रही,
जिस तरह
धूप की तपिश
मौसम की दबिश
फूलों को
तार-तार करती जा रही।
है आवश्यकता
हमें और तुम्हें
आशा की शीतल छाया
व बागवान की परवरिश की
जिससे सुरक्षित हो
हमारा आज !
सर्वत्र प्रफुल्लित हो
आने वाला कल।
– डॉ० उपासना पाण्डेय

Language: Hindi
1 Like · 159 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

4150.💐 *पूर्णिका* 💐
4150.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तू खुद को मेरे नाम कर
तू खुद को मेरे नाम कर
Jyoti Roshni
खयालात( कविता )
खयालात( कविता )
Monika Yadav (Rachina)
*मेरी जीवन संगिनी*
*मेरी जीवन संगिनी*
AVINASH (Avi...) MEHRA
वन्दे मातरम
वन्दे मातरम
Swami Ganganiya
बाढ़
बाढ़
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
चराग़ों ने इन हवाओं को क्या समझ रखा है,
चराग़ों ने इन हवाओं को क्या समझ रखा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कान्हा घनाक्षरी
कान्हा घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
चित्र आधारित दो कुंडलियाँ
चित्र आधारित दो कुंडलियाँ
गुमनाम 'बाबा'
Operation Sindoor
Operation Sindoor
Chitra Bisht
बात मन की
बात मन की
कार्तिक नितिन शर्मा
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
पूर्वार्थ
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
परमपिता तेरी जय हो !
परमपिता तेरी जय हो !
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
दोहा गीत
दोहा गीत
seema sharma
वेदना
वेदना
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
"" *स्वस्थ शरीर है पावन धाम* ""
सुनीलानंद महंत
आदमी आदमी के रोआ दे
आदमी आदमी के रोआ दे
आकाश महेशपुरी
"नवांकुरो की पुकार "
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मेरी प्रिय
मेरी प्रिय
Brandavan Bairagi
"वन से लगन लगाओ ना..! "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मित्रों से अच्छा नहीं,
मित्रों से अच्छा नहीं,
sushil sarna
“ आओ, प्रार्थना करें “
“ आओ, प्रार्थना करें “
Usha Gupta
*यह फागुन-चैत महीना है (राधेश्यामी छंद)*
*यह फागुन-चैत महीना है (राधेश्यामी छंद)*
Ravi Prakash
हर शैय बदल गयी
हर शैय बदल गयी
shabina. Naaz
ये गजब की दुनिया है जीते जी आगे बढने नही देते और मरने के बाद
ये गजब की दुनिया है जीते जी आगे बढने नही देते और मरने के बाद
Rj Anand Prajapati
"मेहा राहगीर आँव"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते नातों के बोझ को उठाए फिरता हूॅ॑
रिश्ते नातों के बोझ को उठाए फिरता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
गम में गुम हो बैठा हूँ |
गम में गुम हो बैठा हूँ |
Saurabh Kumar
नमन वंदन सदा करता।
नमन वंदन सदा करता।
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
Loading...