Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2024 · 2 min read

तुम – हम और बाजार

तुम – हम और बाजार
******************
तुम्हारी आंखों में सपने थे
मेरे पास थी
उन सपनों की फेहरिस्त
तुम रोज सपने देखती थीं
मैं रोज देखता था
अखवार का वह पन्ना जिसमें होता था
दैनिक खाद्य सामग्री के बाजार भाव
कभी भी तुमने
सपना देखना बंद नहीं किया
और मैं कभी भी नहीं भूला
अखवार का वह पन्ना देखना

मेरी हिम्मत नहीं हुई कभी
सपनो से भरी तुम्हारे आंखों को निहारने की
तुम्हारी भी तो
इच्छा नहीं हुई कभी भी
मेरी जेब टटोलने की

मैं झोला लेकर तुम्हारे साथ
जब भी बाजार निकला
जेब यकीनन मेरी रहती
पर हमेशा सामान की सूची तुम्हारी
मुझे याद नहीं कभी भी
तुमने पूरी सूची मुझे दिखाई हो
और मुझे भी याद नहीं
कभी मैने अपनी जेब की हकीकत
असल में तुम्हे बताई हो
पता नहीं कैसे
तुम खरीद करती रहीं
और मैं उस खरीद का भुगतान करता रहा
पता नहीं क्यों
कभी तुमने नहीं कहा
कि ‘लो यह तो लेना छूट ही गया’
और कभी मैने भी नहीं कहा
कि ‘बस करो जी, अब जेब खाली है’

हम बेशक बाजार से
पूरा भरा झोला कभी भी
घर न ला सके
लेकिन निसंदेह हर बार हम
मन भर खरीद करते रहे,
पर आपस में छिपाते रहे
जरूरी दरकार
ख्याल रखते रहे एक दूजे का
यूं भी निभाते रहे प्रेम का इजहार
हम करते रहे यूं ही हमेशा
एक दूसरे का लिहाज
और बचाते रहे कोई भी कारण
जिससे टूट जाते हैं दिलों के साज

जेब नहीं, इच्छाओं की फेहरिस्त नहीं
न ही कोई बाजार
जीवित रहा बस
आत्मीयता का सरोकार
टिक न सका कुछ भी बीच
दरमियाँ रहा सिर्फ प्यार…..
– अवधेश सिंह

2 Likes · 165 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Awadhesh Singh
View all

You may also like these posts

दिल पागल, आँखें दीवानी
दिल पागल, आँखें दीवानी
Pratibha Pandey
*चराईदेव के मैदाम (कुंडलिया)*
*चराईदेव के मैदाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
खड़ा हिमालय बता रहा है
खड़ा हिमालय बता रहा है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"ठोकरों में"
Dr. Kishan tandon kranti
आप हो ना हमारी यादों में
आप हो ना हमारी यादों में
Dr fauzia Naseem shad
लगातार अथक परिश्रम एवं अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण से
लगातार अथक परिश्रम एवं अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण से
Rj Anand Prajapati
घनाक्षरी
घनाक्षरी
surenderpal vaidya
आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
अहसास तेरे होने का
अहसास तेरे होने का
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अयोध्या में राममंदिर
अयोध्या में राममंदिर
Anamika Tiwari 'annpurna '
सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
औरतें जो रिश्ते की कद्र नहीं करती,
औरतें जो रिश्ते की कद्र नहीं करती,
Ajit Kumar "Karn"
मुझे नज़र आती है
मुझे नज़र आती है
*प्रणय प्रभात*
मुहब्बत गीत  गाती है करिश्मा आपका है ये
मुहब्बत गीत गाती है करिश्मा आपका है ये
Dr Archana Gupta
ग़ज़ल - ज़िंदगी इक फ़िल्म है -संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - ज़िंदगी इक फ़िल्म है -संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मेरे पिता क्या है ?
मेरे पिता क्या है ?
रुपेश कुमार
छोड़ आया हूँ मैं अपना घर, अपनी गलियां, वो अपना शहर,
छोड़ आया हूँ मैं अपना घर, अपनी गलियां, वो अपना शहर,
Ravi Betulwala
समाधान ढूंढने निकलो तो
समाधान ढूंढने निकलो तो
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
आधा - आधा
आधा - आधा
Shaily
बेटी हूँ माँ तेरी
बेटी हूँ माँ तेरी
Deepesh purohit
प्रेम महज
प्रेम महज
हिमांशु Kulshrestha
इत्तेफाक
इत्तेफाक
ललकार भारद्वाज
"खूबसूरत आंखें आत्माओं के अंधेरों को रोक देती हैं"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कविता
कविता
Nmita Sharma
झूठी मुस्कानों में गम भी बहलना सीख लिए,
झूठी मुस्कानों में गम भी बहलना सीख लिए,
jyoti jwala
ग़म के लिए रम की जरूरत नहीं होती,
ग़म के लिए रम की जरूरत नहीं होती,
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
मुझको खुद की दुख और पीड़ा में जीने में मजा आता है में और समझ
मुझको खुद की दुख और पीड़ा में जीने में मजा आता है में और समझ
पूर्वार्थ
हीरा
हीरा
Poonam Sharma
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जंगल जंगल जाकर हमने
जंगल जंगल जाकर हमने
Akash Agam
Loading...