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22 May 2024 · 1 min read

*दो दिन का जीवन रहा, दो दिन का संयोग (कुंडलिया)*

दो दिन का जीवन रहा, दो दिन का संयोग (कुंडलिया)
________________________
आते-जाते मिल गए, दुनिया में दो लोग
दो दिन का जीवन रहा, दो दिन का संयोग
दो दिन का संयोग, छूट फिर जाता नाता
चुपके से आ काल, सर्प-सा डॅंस-डॅंस जाता
कहते रवि कविराय, नहीं कुछ खोते-पाते
खाली हाथ पसार, फॅंसे-से आते-जाते
————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 1545 1

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