Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 May 2024 · 1 min read

जहाँ में किसी का सहारा न था

ग़ज़ल
जहाँ में किसी का सहारा न था
मगर हौसला मैंने हारा न था

तलातुम से कश्ती उलझती रही
मेरी मुश्किलों का किनारा न था

मैं एहसान लेता किसी ग़ैर का
अना को मेरी ये गँवारा न था

पलटने को बेताब दिल था मेरा
पर अफसोस तुमने पुकारा न था

भटकता रहा तीरगी में ‘अनीस’
मुकद्दर में कोई सितारा न था
– अनीस शाह ‘अनीस ‘

Loading...