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21 May 2024 · 1 min read

फिकर

भुला दिया है जो तूने तो कुछ मलाल नहीं
कई दिनों से मुझे भी, तेरा ख़याल नहीं
भुला दिया है जो तूने ————

तेरी थी मर्ज़ी, कोई बात कोई ज़िक्र नहीं
मुझे भी पूछना तुझसे, कोई सवाल नहीं
भुला दिया है जो तूने ————

जो चार पल थे गुज़ारे,जिंदगी में कभी
सोच कर उन्ही लम्हो को, मै तो ज़िंदा हूँ
तू छीन पाए उन पलो को तेरी मज़ाल नहीं
भुला दिया है जो तूने ————

मेरी ये बेबसी जैसे भी है ये मेरी है
तन्हाइयो में भी ये साथ देती है
मुकर ये जाये पल में इसमें बात नहीं
तेरी तरह गिरा कोई दलाल नहीं
भुला दिया है जो तूने ————

मुफ्लिश हु माना मैंने मतलब के शहर में
अंजाम बिना जाने चला इश्क़-ए – डगर में
मगर अमीर हूँ मै दिल का, कंगाल नहीं
भुला दिया है जो तूने ————

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