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20 May 2024 · 1 min read

मेरा तकिया

सृष्टि की कोई रचना
बेजान नहीं होती
मैं और मेरा तकिया
रोज बातें करते हैं
जिसकी गोद सर रखकर
मैं दसों घंटे गुजारती हु
मेरे आत्मीय संवादों को
दिल से पहचानता है
बिना बोले ही वह
रोज बतिया लेता है
जब थकी हुई मैं
उसकी गोद में सर
रख कर सोती हूं
चुपके से थपकी देकर
गहरी नींद सुला देता है
जब मैं कहती हूं कि
अकेली दुखी और
थोड़ी परेशान हूं
तो मेरा अकेलापन भी
बांट लेता है
मेरे आंसू अपने में
जज़्ब कर लेता है
मेरा तकिया मुझे
रात अच्छी गुजरे
इसीलिए अपने
आगोश में सुला देता है
मेरा तकिया रोज रात
मुझसे बातें करता है

मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह

2 Likes · 270 Views
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