Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2024 · 1 min read

फ़ितरत

दर्द मेरा मुझे ही छलने लगा
पलक बंद होते ही
मोतियों सा झरने लगा
होठों पर मुस्कान बरक़रार रही
भीतर भीतर अकेला रहने लगा
बहुत समझाया इसको
दर्द बांटना बेकार है
सौदा ही करना है
तो आंसू बेच दो
मुस्कान के बदले
पर कहां समझा नादान मन
उसकी फितरत में दिखावा था
दर्द बसा लिया दिल में
बाहर –बाहर हंसने लगा।

Language: Hindi
167 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Priya Soni Khare
View all

You may also like these posts

शर्माया चाँद
शर्माया चाँद
sheema anmol
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
बड़े समय के बाद हम रुख में आ रहे हैं
बड़े समय के बाद हम रुख में आ रहे हैं
दीपक बवेजा सरल
आशिर्वाद
आशिर्वाद
Kanchan Alok Malu
दउरिहे भकोसना
दउरिहे भकोसना
आकाश महेशपुरी
आयेगी याद मेरी मोहब्बत तुमको
आयेगी याद मेरी मोहब्बत तुमको
gurudeenverma198
आतंकवाद के खिलाफ भारत का निर्णायक युद्ध: अभिलेश श्रीभारती
आतंकवाद के खिलाफ भारत का निर्णायक युद्ध: अभिलेश श्रीभारती
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चाँद कहा करता है
चाँद कहा करता है
seema sharma
"जड़"
Dr. Kishan tandon kranti
संवारना
संवारना
Shashi Mahajan
सच का सच
सच का सच
डॉ० रोहित कौशिक
ଷଡ ରିପୁ
ଷଡ ରିପୁ
Bidyadhar Mantry
आएगी जब तलक समझ में कुछ
आएगी जब तलक समझ में कुछ
Dr fauzia Naseem shad
राम चले वनवास
राम चले वनवास
कार्तिक नितिन शर्मा
जिंदगी हर रोज
जिंदगी हर रोज
VINOD CHAUHAN
समाज में परिवार की क्या भूमिका है?
समाज में परिवार की क्या भूमिका है?
Sudhir srivastava
ख्वाबों में मिलना
ख्वाबों में मिलना
Surinder blackpen
"बेशर्मी" और "बेरहमी"
*प्रणय प्रभात*
हिय–तरंगित कर रही हो....!
हिय–तरंगित कर रही हो....!
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
*स्मृति स्वर्गीय श्री मक्खन मुरादाबादी जी*
*स्मृति स्वर्गीय श्री मक्खन मुरादाबादी जी*
Ravi Prakash
मेरा होना दुरुस्त कर
मेरा होना दुरुस्त कर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
राम!
राम!
Acharya Rama Nand Mandal
Labour day
Labour day
अंजनीत निज्जर
Go88v06 xứng đáng là cổng game go 88 đổi thưởng rất đáng để
Go88v06 xứng đáng là cổng game go 88 đổi thưởng rất đáng để
Go88v06
दोहा पंचक. . . . . नजर
दोहा पंचक. . . . . नजर
sushil sarna
पापा आपकी बहुत याद आती है
पापा आपकी बहुत याद आती है
Kuldeep mishra (KD)
बंदरबाँट
बंदरबाँट
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम हो
तुम हो
Jalaj Dwivedi
Loading...