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18 May 2024 · 1 min read

सफ़र ठहरी नहीं अभी पड़ाव और है

मंजिल दूर है राही नेह ठहरे कहीं
दिशाओं की हर इल्म खूबसूरत लगे
पर अलहदा इस राह की स्नेही मंजर सखी
यह वश मे नहीं इसके अदद और है
मन के पृथक ठहराव को
स्थिर मंजिल की चाह है
न सफ़र ठहरी अभी पड़ाव और है

~ कुmari कोmal

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