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16 May 2024 · 1 min read

फाल्गुन महिनवा में

पतझड़ महीना नई आश लेई आईल
अमवा बऊर देखी मन हर्षा-ईल
पौधा पुष्प खिला दी अंगनईयाँ
फाल्गुन महिनवा में धली रेल गड़ियाँ

रतिया में हम के बीरावे ले अजोरियाँ
धई-धई नागीन बनी डसे ले पलंगियाँ
कुह-कुह ताना मारे,भोर में कोयलियाँ
फाल्गुन महिनवा में धली रेल गड़ियाँ

खाए के मन करतारे चौरईयां
बहई झकोरि-झकोरि पुरवईयां
सझिया सुवेरवा में उठे अंगडईयाँ
फाल्गुन महिनवा में धली रेल गड़ियाँ

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