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29 Jun 2024 · 1 min read

सांझ की वेला

सांझ की वेला लौटे पंछी वापस अपने घर को,
तेज धूप की थकन से देती राहत सांझ तन को।
छोटा मुन्ना करे अटखेली बाबा जब वापस आएं,
चुनियां पूंछ रही बाबा से क्या मेरे लिए हो लाए।

चलता रहे जीवन नियमित खोजे सांझ सुकून,
बिछुड़े मिलते फिर सांझ घनेरी चैन पाएं नयन।
संग साथ सब बैठें अब करे बातें गुजरे पन की,
सांझ लाई अनमोल पलों को चलती सांसे गहरी।

सुबह के भूले सांझ मिलेंगे कहे सांझ अलबेली,
कितनी घड़ियां बीत गई सब लगने लगी पहेली।
सांझ अनुभव गुजरे पल का सुबह चले नए दांव,
सुकून तलाशती जिंदगी सांझ लाए शीतल छांव।

स्वरचित एवम मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश

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