Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 May 2024 · 1 min read

सुन्दर प्रियतमा के साथ

सुन्दर प्रियतमा के साथ भी,
जब घेरे अवसाद!

कोई अति प्रिय वस्तु खोने का
सदा रहता एहसास!!

कोहरे की धुन्ध में
सिर्फ पाता अभास

इस जगत की छड़-भंगुरता का
जब आ जाता विश्वास!!!

है उसका इस हृदय में
ऋजु-वास…

उत्थित होती है तभी
तरुण- अनबुज प्यास।

Language: Hindi
1 Like · 141 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सेवा या भ्रष्टाचार
सेवा या भ्रष्टाचार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पितृपक्ष में पितरों का महत्व होता हैं।
पितृपक्ष में पितरों का महत्व होता हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
क़ुर्बानी
क़ुर्बानी
Shyam Sundar Subramanian
*जिनको चॉंदी का मिला, चम्मच श्रेष्ठ महान (कुंडलिया)*
*जिनको चॉंदी का मिला, चम्मच श्रेष्ठ महान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
संवेदना मनुष्यता की जान है।
संवेदना मनुष्यता की जान है।
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
My Guardian Angel!
My Guardian Angel!
R. H. SRIDEVI
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
With and without.
With and without.
Priya princess panwar
यह नवीन साल।
यह नवीन साल।
Anil Mishra Prahari
जो हमेशा खुशी चाहता हैं वो दुःख भी शत-प्रतिशत पाता हैं.. जो
जो हमेशा खुशी चाहता हैं वो दुःख भी शत-प्रतिशत पाता हैं.. जो
पूर्वार्थ
"किताबों में उतारो"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझ सा नहीं होगा
मुझ सा नहीं होगा
विक्रम कुमार
बसंत के रंग
बसंत के रंग
Shutisha Rajput
कोसों लंबी ख़ामोशी,
कोसों लंबी ख़ामोशी,
हिमांशु Kulshrestha
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
"रूप" की गली से आरंभ होकर "नर्क" के गलियारे तक का मर्म बताने
*प्रणय प्रभात*
कोई शुहरत का मेरी है, कोई धन का वारिस
कोई शुहरत का मेरी है, कोई धन का वारिस
Sarfaraz Ahmed Aasee
जिन्दगी की शाम
जिन्दगी की शाम
Bodhisatva kastooriya
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर  मौन  प्रभात ।
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
sushil sarna
हमेशा जागते रहना
हमेशा जागते रहना
surenderpal vaidya
"आपके पास यदि धार्मिक अंधविश्वास के विरुद्ध रचनाएँ या विचार
Dr MusafiR BaithA
- रातो की खामोशी -
- रातो की खामोशी -
bharat gehlot
जी हमारा नाम है
जी हमारा नाम है "भ्रष्ट आचार"
Atul "Krishn"
हर घर तिरंगा
हर घर तिरंगा
Dr Archana Gupta
कृष्ण कुंवर ने लिया अवतरण
कृष्ण कुंवर ने लिया अवतरण
राधेश्याम "रागी"
दर्द
दर्द
ललकार भारद्वाज
*समा जा दिल में मेरे*
*समा जा दिल में मेरे*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
उपहास
उपहास
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
खूबसूरती से
खूबसूरती से
Chitra Bisht
महामानव पंडित दीनदयाल उपाध्याय
महामानव पंडित दीनदयाल उपाध्याय
Indu Singh
Loading...