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13 May 2024 · 1 min read

नववर्ष सुस्वागतम्

‘जीवन’ के नव वर्ष यह
सजे हैं स्वपनिल परिधानों से।
करो सुस्वागत तुम इसका
अपनी मधुर मुस्कानों से।।
नई उम्मीदें, नई आशाएं
भरे हैं नये अरमानों से।
करो संकल्प सच करने का
फिर नित नये कीर्तिमानों से।।
नये रास्ते, नई मंजिलें
हैं चुनौती ऑधी व तूफानों से।
अब पानी हैं हर मंजिल
ढूंढ लानी हैं खुशीयां विरानों से।।
यूं तो मुश्किलें होगी आगे
विकट बडी़ शैतानों से।।
पार पा लेगें हम सब
साथ मिले जब नौजवानों से।
नये वर्ष में कुछ बातें
हमें करनी हैं किसानों से।।
लेना हैं सबक सबको
लोगों की व्यर्थ गवाई जानों से।
भरे हुए हैं सब ग्रन्थ हमारे
ज्ञान-गुणों की खानों से।।
शक्तिमान बनी हैं सेनाएं
अपने बहादुर वीर जवानों से।
निज हित का कर त्याग
लगा दिल देश के विधानों से।।
करो नवराष्ट्र निर्माण तुम
अपने अमूल्य बलिदानों से।
‘जीवन’ का नव वर्ष यह
सजा है स्वपनिल परिधानों से।।
करो सुस्वागत तुम इसका
अपनी मधुर मुस्कानों से।
~०~
मौलिक एवं स्वरचित कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या-२४: मई,२०२४.© जीवनसवारो.

Language: Hindi
130 Views
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