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6 Jul 2025 · 4 min read

चंद्रदेव से मेरी बातें

शीर्षक – चंद्रदेव से मेरी बातें

परिचय – डॉ. ज्ञानीचोर
मु. पो. रघुनाथगढ़, सीकर
पिन कोड – 332027
मो. 9001321438

पहला अंक

मुझे आपकी ये बात बिल्कुल पसंद नहीं है। कोई इंतजार करते-करते थक जाएं और आप है कि…! देर रात तक कोई खबर नहीं। क्या अपराध किया उन नेम-धरम वाली पतिव्रत निभाने वालियों ने ? कम से कम एक फोन तो कर ही सकते हो कि मैं देर से आऊँगा ताकि इंतजार के इंतजाम से बचे। पर नहीं बड़े बने फिरतो हो । ‘नाम बड़े दर्शन महान’ के सिद्धांत पर जी रहे हो। भला ये क्या बात हुई चुपचाप सुन रहे हो जवाब नहीं दे रहे!
अरे हाँ! मैं भी कितना अज्ञानी हूँ ? आपके वहाँ फोन थोड़ी है। पर एक बात तो बताओं चंद्रदेव! फिर आपको कैसे पता चलता कि आज रात देर से उगना है, बेचारी व्रतधारी पतिव्रता कलहप्रियाओं के भूख के कारण हाल बेहाल हो जाते है। अपनी माँ, बहिन, भाभी को फोन कर- करके पूछती है चाँद दिखा आपके यहाँ, दिखे तो फोन करके बताना। कई बार बादलों की ओट में आप छिपे रहते हो दिखते नहीं, बेचारी! क्लेशचित्तप्रिया फोन में देखकर अपना व्रत खोलती है। फिर खानाकर….. नहीं- नहीं…… खानापूर्ति करके अपने चँद्रदेव से रतिशैय्या पर महाभारत का सीधा प्रसारण कर देती है।
अब आप देख है ‘कहानी घर-घर की’। वेदव्यास जी ने महाभारत में ये अंतर्कथा नहीं जोड़ी थी। चूक किससे नहीं होती? सबसे होती है। पर स्त्री हर चूक पर चूकती नहीं है उसे अचूक बनाकर ही चूकती है। वेदव्यासजी जी को क्या पता था ‘कहानी घर-घर की’ अंतर्कथा में कलयुगी मानवी को नहीं उकेरना चूक होगी। बड़े ज्ञानी ऋषि-मुनि देवतुल्य थे। उनके पत्नी थी या नहीं ये मैंने सुना नहीं और पढ़ा भी नहीं। यदि उनके स्त्री थी तो कलहप्रिया नहीं रही होगी। इसलिए महाभारत में कुछ अंतर्कथा जोड़ना भूल गये होंगे। सहिष्णु, मितभाषी,अंतर्यामी पत्नी को पाकर व्यासजी स्त्री व्यवहार के पोषक बन गये होंगे इसलिए उनका विचार ही नहीं गया होगा इस तरफ।
पर कोई बात नहीं? स्त्री पर चूकती नहीं है चूक को चुकता करने हेतु अब व्यासजी की आवश्यकता ही क्या? हर मैदान फतह करने की ठान ली।
हे चंद्रदेव! सच सच कहना … क्या आपका विवाह चंद्रिका से हुआ था? तभी आप चंद्रकांत और पत्नी चंद्रकान्ता कहलाई…! आपकी पत्नी देवी चंद्रकान्ता आपसे रूठ जाती है, बात-बात पर झगड़ा करती है।
महिने में पंद्रह दिन आप चमकते हो प्रसन्नता से अपनी छटा गगनमंडल में शुभशुक्ल रश्मियां बिखेर कर देते हो। फिर पीले पड़ते- पड़ते मुरझा कर काले पड़ जाते हो चेहरे दाग उभर आते है।
हे चंद्रदेव आप एपल का स्मार्ट फोन ले लो, स्टेट्स लगाया करो अपनी पत्नी को खुश करने के लिए। शॉर्ट विडियों बनाकर उस पर पत्नि को रिझाने वाले फिल्मी सदाबहार गाने लगाया करो।
कल आपने कहा था – ‘मेरी हार्दिक इच्छा है मैं धरती पर घूमने आऊँ, कश्मीर जाऊँ,वहाँ की वादियों में सुरम्य घाटियों में रमण करूँ,चंद्रकांता प्रसन्न हो जायेगी। जैसलमेर के धोरों में खो जाऊँ। राजस्थान आऊँगा तब तुमसे मिलूँगा।’
हे चंद्रदेव! ये तो बड़ा शुभ विचार है। पर देवी चंद्रकांता को यहाँ की कलहप्रियाओं की हवा लग गई तो…..! सोचा आपने फिर क्या होगा। यहाँ तो पुरूष प्रजाति पर खतरा मंडरा रहा है आजकल। सारे भारत पुरूष घबराये हुए है। आप कश्मीर जाने की बात कर रहे हो । जाओ ! निःशंकोच होकर घूमों पर चंद्रदेव आपके पास बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं है। आप अपनी सुरक्षा के अस्त्र- शस्त्र साथ रखना। ट्रेन में किसी दिया मत खाना। आप भोले है पृथ्वीवासी बड़े चतुर है,लूट लेंगे आपको। कश्मीर को एक करना आप। आधा- आधा कश्मीर नहीं देखना। पूरा देखना और उधर वाला भी इधर खिसकाना।
मेरे यहाँ आतिथ्य स्वीकार करना। पर हाँ सीकर होकर आओं तो बारिश के मौसम में मत आना। रोड़ पर पानी भरा रहता है डूब जाओगे, आपको तैरना भी नहीं आता। वरना कल अखबार में आयेगी ‘ मित्र से मिलेने गये चंद्रदेव की नवलगढ़ रोड़ पर भरे पानी में डूबने से मौत, अंतरिक्ष लोक में शोक की लहर!’

हे चंद्रदेव! आप धरती पर आओं तो ट्रंप में मत मिलना । वो आपको झूठ बोलना सीखा देंगे। और पल्टूबाबू बना देगा।
आप यहाँ आओं तो राजस्थान भ्रमण में मेरे साथ चलना मैं आपको यहाँ की खूबियाँ दिखाऊंगा। आप कहीं घूमते-घूमते तानसेन,दिलबाग, मिराज,रजनीगंधा मत खरीद लेना। बीड़ी तो बिल्कुल भी नहीं। हाँ शराब जरूर खरीद लेना ताकि जब कभी पाकिस्तान-चीन मिसाइल छोड़ दे तो आप उन हथियारों पर छिड़काव करना जिससे वे पीकर टल्ली हो जाये हथियार फुस्स हो जाये।
रघुनाथगढ़ आओं में तो शनिदेव के मंदिर से आगे चलने की जिद मत करना। वहां जाने से तुम मंगलमय हो जाओगे तो सृष्टि का कल्याण हो जायेगा! तुम्हारा चौंक के देवताओं में नाम गिना जायेगा! नाबालिग इश्क हो जायेगा तो चंद्रकांता देवी का क्या होगा। यही आपकी गलती है कि आप अपने घर के बारे में नहीं सोचते। आसपास की नाबालिग लताओं को बढ़ते देखते हो तो तुम चंचल हो जाते हो।
नहीं- नहीं चंद्रदेव! आप ऐसे नहीं है। मंगलमय होने के बाद ऐसा हो सकता है,ऐसी संभावना बताई है।
राधा की एक सखी थी ललिता। चंद्रकांता भी कुछ ऐसी है। गंगा की तरह पावन निर्मल प्रेम की कल-कल अजस्र प्रेमधारा से उठता मधुर संगीत सृष्टि के अमर जीवन का गान गाती है।
परन्तु हे चंद्रदेव! रघुनाथगढ़ में नदी तो बहती नहीं। एक पक्का बड़ा तालाब है उसमें पानी नहीं रहता। भरी बरसात में भी सूखा रहता है। शिकायत करने के बाद भी ग्राम पंचायत जानबूझकर ध्यान नहीं देती।
हे चंद्रदेव! बड़ा अच्छा सुअवसर है। आप यहाँ से सरपंच का चुनाव लड़ लो। मैं भरपूर सहयोग दूँगा। चिमनजी भी आपको पक्का वोट देंगे। उसी एक वोट से आप जीतेंगे।
आपको कान में एक बात कहनी है….! आप सुन सको तो कहूँ …! ‘धरती पर घूमने मत आना। पर क्यों…! क्यों क्या कहूँ देव! दूर के ढोल सुहावने।

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