Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2024 · 1 min read

तिरे रूह को पाने की तश्नगी नहीं है मुझे,

तिरे रूह को पाने की तश्नगी नहीं है मुझे,
बस तुझे चाहने की इबादत हर रोज़ करता हूं

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

189 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

" सबसे बड़ा ज्ञान "
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ यूं वक्त बदलते देखा है
कुछ यूं वक्त बदलते देखा है
अरशद रसूल बदायूंनी
इश्क़ का कारोबार
इश्क़ का कारोबार
Mamta Rani
असफलता अनाथ होता है।
असफलता अनाथ होता है।
Dr.Deepak Kumar
सभी से।
सभी से।
*प्रणय प्रभात*
जय गणेश देवा
जय गणेश देवा
Santosh kumar Miri
चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफ़रत
चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफ़रत
gurudeenverma198
°°आमार साद ना मिटिलो.....??
°°आमार साद ना मिटिलो.....??
Bimal Rajak
डिग्रियों का कभी अभिमान मत करना,
डिग्रियों का कभी अभिमान मत करना,
Ritu Verma
सुदामा कृष्ण के द्वार
सुदामा कृष्ण के द्वार
Vivek Ahuja
हे बुद्ध
हे बुद्ध
Dr.Pratibha Prakash
कुछ जो बाकी है
कुछ जो बाकी है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वो शोहरत भी किसी काम न आई,
वो शोहरत भी किसी काम न आई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
पूर्वार्थ देव
महाकुंभ
महाकुंभ
Dr Archana Gupta
विषय-मन मेरा बावरा।
विषय-मन मेरा बावरा।
Priya princess panwar
संघर्षों को लिखने में वक्त लगता है
संघर्षों को लिखने में वक्त लगता है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
जगह-जगह पुष्प 'कमल' खिला;
जगह-जगह पुष्प 'कमल' खिला;
पंकज कुमार कर्ण
मुदा एहि
मुदा एहि "डिजिटल मित्रक सैन्य संगठन" मे दीप ल क' ताकब तथापि
DrLakshman Jha Parimal
बुद्ध रूप में गुरू बन गये
बुद्ध रूप में गुरू बन गये
Buddha Prakash
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
ସାଧୁ ସଙ୍ଗ
Bidyadhar Mantry
सामाजिक न्याय
सामाजिक न्याय
Rahul Singh
वतन परस्त लोग थे, वतन को जान दे गए
वतन परस्त लोग थे, वतन को जान दे गए
Neelofar Khan
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
"मुस्कराहट और वाणी"
Rati Raj
ये कैसा घर है ....
ये कैसा घर है ....
sushil sarna
“समझा करो”
“समझा करो”
ओसमणी साहू 'ओश'
कविता: घर घर तिरंगा हो।
कविता: घर घर तिरंगा हो।
Rajesh Kumar Arjun
निष्काम कर्म कैसे करें। - रविकेश झा
निष्काम कर्म कैसे करें। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
Loading...