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12 May 2024 · 1 min read

दोहा सप्तक. . . . माँ

दोहा सप्तक. . . . माँ

माँ क्या जाने पुत्र के, मन में है क्या बात ।
वो तो चाहे पुत्र को, देखूं मैं दिन- रात ।।

माँ है तो संतान का, जीवित सकल जहान ।
उसके ही अस्तित्व से, उसकी है पहचान ।।

माँ अपनी संतान का, करे सदा कल्याण ।
वक्त पड़े तो त्याग दे , उस पर अपने प्राण ।।

माँ की ममता पुत्र को, देती यह वरदान ।
तेरे कर्मों का सदा , जग में हो गुणगान ।।

मुश्किल में संसार जब, छोड़े अपना हाथ ।
बुरे वक्त में पुत्र के, माँ होती है साथ ।।

बहुत सताती लोरियाँ , जब आती है रात ।
सिर पर माँ के हाथ की, सदा रुलाती बात ।।

बात-बात पर डाँटना , अब आता है याद ।
डाँटेगा फिर कौन माँ, मुझको तेरे बाद ।।

सुशील सरना / 12-5-24

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