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11 May 2024 · 1 min read

अच्छा लगता है

किसी को ‘दिल’ से लगाता हूँ,
तो अच्छा लगता है…
किसी के ‘दर्द’ बंटा लेता हूँ,
तो अच्छा लगता है….

यूँ तो हर शख्स ही ‘उलझा’ है,
जिंदगी के झमेलों मे,
कुछ ‘धागे’ सुलझा देता हूंँ,
तो अच्छा लगता है….

बहुत जल्द बड़ा हो गया हूँ,
अपनी ‘उम्र’ से तो मैं,
कभी ‘खिलौने’ खरीद लाता हूँ,
तो अच्छा लगता है…..

बुझाता है कोई आग जो,
कहीं अपने ‘नशेमन’ की,
साथ जला लेता हूँ मैम भी हाथ,
तो अच्छा लगता है….

चौंधिया जाता हूंँ देखकर,
जब जमाने की रौशनी,
आंगन मे ‘चिराग’ जला लेता हूँ,
तो अच्छा लगता है…..

जब मन मे ‘कसक’ होती है,
कोई बात दिल मे होती है,
तब ‘कलम’ को उठा लेता हूँ,
तो अच्छा लगता है….

© विवेक’वारिद’*

Language: Hindi
80 Views
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