Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2024 · 1 min read

” टैगोर “

“” टैगोर “”
*********

कवि
हृदय थे टैगोरजी हमारे,
बन प्रकृतिस्थ , जीया जीवन यहाँ पर !
देखा इन्होंने अपने आस-पास जो भी..,
उनके चित्र बना, रचते गए गीत सुंदर !! 1 !!

छवि
बसी है रविंद्रनाथ टैगोरजी की,
हरेक भारतीय जन-मन के हृदय में !
नित चलें इनके गीतों को गाते यहाँ पे..,
और इनकी मधुर स्मृतियों को याद करते !! 2 !!

रवि
किरणों सी थी इनमें गर्माहट,
चले भरते युवाओं में ऊर्जावान स्वर !
और हर भोर की प्रथम किरणों के संग-संग,
टैगोरजी करते थे शुरूआत साहित्यिक सफ़र की !! 3!!

हवि
करते चले सदैव टैगोरजी ,
और देशसेवा में देते रहे अपनी आहूति !
लगाए चले देशभक्ति की यहाँ पर टेर….,
रचके जन-गण-मन गीत करी जन जाग्रति! 4!!

अवि
टैगोर थे भारत के राष्ट्रकवि ,
गए रच प्रसिद्ध गीत ‘ गीतांजलि ‘, काव्य !
हुए पूरे विश्व में प्रसिद्ध रविंद्रनाथजी …,
होकर पुरस्कृत नोबेल से, बसे सबके हिय!! 5!!

* हवि : हवन / यज्ञ
* अवि : सम्राट
¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥

सुनीलानंद
शुक्रवार,
10 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |

Language: Hindi
172 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुनीलानंद महंत
View all

You may also like these posts

ये दुनिया है कि इससे, सत्य सुना जाता नहीं है
ये दुनिया है कि इससे, सत्य सुना जाता नहीं है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रथम माता शैलपुत्री
प्रथम माता शैलपुत्री
Dr Archana Gupta
हारों की राहों से मैं चलता जा रहा हूँ,
हारों की राहों से मैं चलता जा रहा हूँ,
पूर्वार्थ
मिट्टी से मिट्टी तक का सफ़र
मिट्टी से मिट्टी तक का सफ़र
Rekha khichi
टूटना कभी भी मत
टूटना कभी भी मत
ललकार भारद्वाज
स्कूल बैग
स्कूल बैग
Mandar Gangal
स्वयं में एक संस्था थे श्री ओमकार शरण ओम
स्वयं में एक संस्था थे श्री ओमकार शरण ओम
Ravi Prakash
वाचाल
वाचाल
Rambali Mishra
ये अल्लाह मुझे पता नहीं
ये अल्लाह मुझे पता नहीं
Shinde Poonam
👌आभास👌
👌आभास👌
*प्रणय प्रभात*
जिन्दगी भी हर मोड़ पर, एक नया सबक देती है।
जिन्दगी भी हर मोड़ पर, एक नया सबक देती है।
श्याम सांवरा
यादों के बीज बिखेर कर, यूँ तेरा बिन कहे जाना,
यादों के बीज बिखेर कर, यूँ तेरा बिन कहे जाना,
Manisha Manjari
कुछ यूँ मैंने खुद को बंधा हुआ पाया,
कुछ यूँ मैंने खुद को बंधा हुआ पाया,
पूर्वार्थ देव
लतखिंचुअन के पँजरी...
लतखिंचुअन के पँजरी...
आकाश महेशपुरी
सरोवर और सागर।
सरोवर और सागर।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
विषय : बाढ़
विषय : बाढ़
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
अच्छे दिनों की आस में,
अच्छे दिनों की आस में,
Befikr Lafz
कभी कभी जो जुबां नहीं कहती , वो खामोशी कह जाती है । बेवजह दि
कभी कभी जो जुबां नहीं कहती , वो खामोशी कह जाती है । बेवजह दि
DR. RAKESH KUMAR KURRE
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वो भी एक समय था जब...
वो भी एक समय था जब...
Ajit Kumar "Karn"
श्री कृष्ण जन्म कथा
श्री कृष्ण जन्म कथा
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
"कवि"
Dr. Kishan tandon kranti
गरीबी
गरीबी
Aditya Prakash
ख़ूबसूरती का असली सौंदर्य व्यक्ति की आत्मा के साथ होता है, न
ख़ूबसूरती का असली सौंदर्य व्यक्ति की आत्मा के साथ होता है, न
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
4623.*पूर्णिका*
4623.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं
पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
कहते- कहते थक गए,
कहते- कहते थक गए,
sushil sarna
युद्ध का परिणाम
युद्ध का परिणाम
Arun Prasad
Loading...