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10 May 2024 · 2 min read

आत्मविश्वास

आत्मविश्वास का शाब्दिक अर्थ है , “आत्म” अर्थात् स्वयं पर विश्वास।
आत्म में निहित “स्व” का आकलन आत्म- चिंतन पर निर्भर रहता है। जो अंतर्निहित गुणों एवं दोषों का सतत् मंथन कर अपने प्रति व्यक्तिगत संकल्पित भाव का निर्माण है।

आत्मविश्वास के निर्माण को प्रभावित करने वाले अनेक कारक है जैसे पूर्व निर्मित व्यक्तिगत धारणाऐं , व्यक्तिगत कसौटी पर निर्धारित मूल्य , पूर्वाग्रह , कल्पित तर्कहीन विवेचनाऐं , समूह मानसिकता का प्रभाव , परिस्थितिजन्य विवशता एवं मानसिक तनाव , अवसाद एवं एकाकीपन की अनुभूति , विश्लेषणात्मक प्रज्ञा शक्ति एवं संज्ञान का अभाव , सामयिक नकारात्मक वातावरण , वस्तुः स्थिति पर पूर्व में लिए गए निष्कर्ष , सामाजिक प्रतिरोध इत्यादि प्रमुख है।

इसके अतिरिक्त अंतर्निहित संस्कार एवं अनुवांशिक गुणों का प्रभाव भी परोक्ष रूप से आत्मविश्वास के निर्माण में अनुभव किया जाता है।

आत्मविश्वास का प्रत्यक्ष प्रभाव कार्यक्षमता पर पड़ता है जो किसी कार्य के निष्पादन की सफलता में एक अहम् भूमिका निभाता है।

आत्मविश्वास प्रतिबद्धता पूर्ण संकल्पित भाव का जनक है। जो किसी कार्य की सफलता सुनिश्चित करता है।

आत्मविश्वास जोखिम उठाने के लिए साहस का निर्माण करता है एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए स्वयं को तैयार करता है।

परिस्थिति का आकलन कर पूर्ण आत्मविश्वास एवं साहस से उठाए गए कदम जीत की ओर अग्रसर करते हैं।

इसके विपरीत परिस्थिति का आकलन ना करते हुए अहंकार से परिपूर्ण आवेश में उठाए गए कदम दुस्साहस की श्रेणी में आते है , तथा अधोगति की ओर ले जाते हैं।

आत्मविश्वास मनुष्य का एक विशिष्ट गुण है जो उसकी सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाकर , उसे अन्य से श्रेष्ठ बनाता है तथा उसके वर्तमान एवं भविष्य का निर्धारण करता है।

आत्मविश्वासी व्यक्ति जीवन में कभी हार नहीं मानता है एवं परिस्थितियों से समझौता ना करते हुए सतत् धैर्य एवं साहस से प्रयत्नशील रहकर अंत में सफलता को प्राप्त करके ही रहता है।

अतः हम कह सकते हैं कि आत्मविश्वास,
प्रतिबद्धतायुक्त संकल्प का जनक है , एवं हमारे जीवन में सफलता की एक कुंजी है।

Language: Hindi
162 Views
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