Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2024 · 1 min read

3421⚘ *पूर्णिका* ⚘

3421⚘ पूर्णिका
🌹 मेरे हमदम मेरे यार 🌹
22 22 2221
मेरे हमदम मेरे यार ।
करते बेहद तुझसे प्यार।।
दुनिया निखरी देखो आज ।
सपनें भी अपने साकार।।
मस्त रहते हैं हम दिन रात।
कर ही जाते दरिया पार ।।
मंजिल हरदम चूमे पाँव ।
खुशियों का देकर उपहार ।।
बगियां महके खेदू रोज।
सुंदर जीवन का आधार।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती “सत्येश “
08-05-2024 बुधवार

128 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
33Win cung cấp các thể loại game nổi bật như cá cược thể tha
33Win cung cấp các thể loại game nổi bật như cá cược thể tha
Nhà cái 33WIN
।सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ ।
।सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ ।
Kuldeep mishra (KD)
अब वक्त भी बदलने लगा है
अब वक्त भी बदलने लगा है
पूर्वार्थ देव
एक नस्ली कुत्ता
एक नस्ली कुत्ता
manorath maharaj
*त्रिभंगी छंद* सममात्रिक
*त्रिभंगी छंद* सममात्रिक
Godambari Negi
इस तरह मुझसे नज़रें चुराया न किजिए।
इस तरह मुझसे नज़रें चुराया न किजिए।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
*उठाओ प्लेट खुद खाओ , खिलाने कौन आएगा (हास्य मुक्तक)*
*उठाओ प्लेट खुद खाओ , खिलाने कौन आएगा (हास्य मुक्तक)*
Ravi Prakash
बसपन में सोचते थे
बसपन में सोचते थे
Ishwar
वक्त से पहले किसे कुछ मिला है भाई
वक्त से पहले किसे कुछ मिला है भाई
sushil yadav
3800.💐 *पूर्णिका* 💐
3800.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सदद्विचार
सदद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" अंधेरी रातें "
Yogendra Chaturwedi
👌सीधी बात👌
👌सीधी बात👌
*प्रणय प्रभात*
अमृत और विष
अमृत और विष
Shekhar Deshmukh
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
मेरी निगाह को मेरे दिल का रास्ता कह लो
मेरी निगाह को मेरे दिल का रास्ता कह लो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ग़ज़ल _अरमान ये मेरा है , खिदमत में बढ़ा जाये!
ग़ज़ल _अरमान ये मेरा है , खिदमत में बढ़ा जाये!
Neelofar Khan
मुहब्बत की दुकान
मुहब्बत की दुकान
Shekhar Chandra Mitra
दोहा मुक्तक
दोहा मुक्तक
Sudhir srivastava
जिंदगी
जिंदगी
विजय कुमार अग्रवाल
शीशै का  दिल
शीशै का दिल
shabina. Naaz
वो आसमां था लेकिन खुद सिर झुकाकर चलता था। करता तो बहुत कुछ था अपने देश के लिए पर मौन रहता था।
वो आसमां था लेकिन खुद सिर झुकाकर चलता था। करता तो बहुत कुछ था अपने देश के लिए पर मौन रहता था।
Rj Anand Prajapati
तुम पढ़ो नहीं मेरी रचना  मैं गीत कोई लिख जाऊंगा !
तुम पढ़ो नहीं मेरी रचना मैं गीत कोई लिख जाऊंगा !
DrLakshman Jha Parimal
तेरी इस वेबफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
तेरी इस वेबफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
Phool gufran
Jai
Jai
ramlikhma756
मज़दूर
मज़दूर
कुमार अविनाश 'केसर'
गम की मुहर
गम की मुहर
हरवंश हृदय
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
पूर्वार्थ
अस्तित्व
अस्तित्व
Shyam Sundar Subramanian
Loading...