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7 May 2024 · 1 min read

डूबता सुरज हूँ मैं

डूबता सुरज हूँ मैं या टूटा हुआ ख्वाब हूँ मैं
बंद कमरे में अकेला जलता हुआ चिराग हूँ मैं

महफिलों में हंसता रहा सांसों में बसता रहा
लबलबाते जाम से बस छलकी हुई शराब हूँ मैं

सुनो जिंदगी एक गीत है खो चुकी संगीत है
शाम की तन्हाई में यूँ ही एक तड़पता राग हूँ मैं

मौत से कहीं दूर हूँ मैं जीने को मजबूर हूँ मैं
जिंदगी को जला डाला खुद दहकती आग हूँ मै

खुद को जो खामोश पाया तो मुझे ये होश आया
उसने लगाया दाम लेकिन अब तलक बेदाग हूँ मैं

वक्त ने मुझको सिखाया फर्ज का ये फलस्फा
बिखरी हुई जिंदगी का सिमटा हुआ आगाज हूँ मै

सुन लो तुम्हारे सामने है “V9द” की ये दास्तां
अपनों की खुशी में खुशी सच्च में एक बैराग हूँ मैं

स्वरचित
V9द चौहान

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