Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2024 · 2 min read

शायद यही लाइफ है

मैं खुद शब्द गढ़ता हूं, मैं खुद भाव बनाता हूं
अपने लिखे गीतों की खुद धुन बनाता हूं
फिर हर धुन पर थिरक कर
मैं खुद का जश्न मनाता हूं
मैं मानता हूं कि आप भी ऐसा कर पाएंगे
क्योंकि मेरा हर परमाणु उतना ही अच्छा है जितना तुम्हारा

मैं जब भी अन्न ग्रहण करता हूं
तो उसे भी आमंत्रित करता हूं जिसने मुझे बनाया है
मेरे शब्दकोश में उसका शुक्रिया करने के लिए शब्द नहीं है
मगर फिर भी प्रयास करता हूं कि
कुछ नए शब्द गढूं उसकी तारीफ में
जिसने मेरे किरदार को अपनी हथौड़ी और छैनी से तराशा है

मैं मानता हूं कि मेरे शरीर का कण कण
पांच तत्वों से मिलकर बना है
और यह भी मानता हूं कि एक दिन यह जर्जर शरीर
पांच तत्वों में विलीन होकर तुम सबको अलविदा कह देगा

उस जननी का कर्ज भला कैसे चुका पाऊंगा
जिसने अपने हिस्से का अन्न खिलाकर
मुझे नौ मेहीने अपनी कोख में रखा, पाला पोषा
और अनगिनत वेदनाओं को सहकर मुझे इस धरा पर उतारा

मां ने नारी बनकर अपनी आंचल की छाया में
नरम बाहों में खिलाकर मुझे जीने का हुनर सिखाया
तो पिता ने लौह पुरुष बनकर अपना फर्ज निभाया
अपने कंधों पर मुझे झुलाकर आसमान को झुकाया
मेरी उंगली थाम कर आंधी और तूफान से लड़ना सिखाया

मैं मानता हूं कि हर क्षण
वक्त की रफ्तार के साथ मेरी भी उम्र घट रही है
अपनों को कभी समझ ना सका
बचपन के रूठे यारों को कभी मना न सका
शायद जितने की जरूरत थी उतना में कर ना सका
फिर भी बेपरवाह होकर अनवरत मैं चलता रहा

मैं मानता हूं कि प्रकृति के आदेशों का पालन करते हुए
यहां मौसम भी अपना मिजाज बदलता है
ऋतुएं भी समय-समय पर अपना रंग बिखेरती हैं
कभी ऋतुराज बसंत का आगमन
कभी आषाढ़ की रिमझिम बूंदों का मचलना
तो कभी पतझड़ में सूखे पत्तों की खनखन
अंत में परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है
और परिस्थितियों के अनुसार खुद को बदलकर
मैं खुद को भी अक्सर सहज पाता हूं
जिंदगी के अंतिम पड़ाव में आज जान पाया
कि शायद यही लाइफ है

Language: Hindi
1 Like · 150 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दशहरे का मेला (बाल कविता)
दशहरे का मेला (बाल कविता)
Ravi Prakash
मां तुम्हारा जाना
मां तुम्हारा जाना
अनिल कुमार निश्छल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Godambari Negi
तेरी याद दिल से निकाली नहीं जाती
तेरी याद दिल से निकाली नहीं जाती
Jyoti Roshni
sp23 गीत ऋषि गोपाल दास नीरज जी को समर्पित
sp23 गीत ऋषि गोपाल दास नीरज जी को समर्पित
Manoj Shrivastava
समसामायिक दोहे
समसामायिक दोहे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अति हर्षित होकर चले, सब बारिश में स्कूल।
अति हर्षित होकर चले, सब बारिश में स्कूल।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
"चालाक आदमी की दास्तान"
Pushpraj Anant
करते नेता ढोंग
करते नेता ढोंग
आकाश महेशपुरी
You'll never truly understand
You'll never truly understand
पूर्वार्थ
“विश्वास”
“विश्वास”
Neeraj kumar Soni
मन का महाभारत
मन का महाभारत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जिंदगी को बोझ नहीं मानता
जिंदगी को बोझ नहीं मानता
SATPAL CHAUHAN
जिसको देखो दे रहा,
जिसको देखो दे रहा,
sushil sarna
वीर जवान
वीर जवान
Santosh Shrivastava
" हरेली "
Dr. Kishan tandon kranti
क्यों छोड़ गई मुख मोड़ गई
क्यों छोड़ गई मुख मोड़ गई
Baldev Chauhan
तुम ही बताओ
तुम ही बताओ
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
महानायक दशानन रावण/ mahanayak dashanan rawan 01 by karan Bansiboreliya
महानायक दशानन रावण/ mahanayak dashanan rawan 01 by karan Bansiboreliya
Karan Bansiboreliya
उलझनें
उलझनें
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
..
..
*प्रणय प्रभात*
टीबी मुक्ति की राह पर भारत
टीबी मुक्ति की राह पर भारत
अरशद रसूल बदायूंनी
गरीब कौन
गरीब कौन
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कठपुतली
कठपुतली
Sarla Mehta
3472🌷 *पूर्णिका* 🌷
3472🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
स्त्री का सम्मान ही पुरुष की मर्दानगी है और
स्त्री का सम्मान ही पुरुष की मर्दानगी है और
Ranjeet kumar patre
कलम कहती है सच
कलम कहती है सच
Kirtika Namdev
तेरी याद मै करता हूँ हरपल, हे ईश्वर !
तेरी याद मै करता हूँ हरपल, हे ईश्वर !
Buddha Prakash
Loading...