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18 Jun 2024 · 1 min read

!! पर्यावरण !!

जब कली एगो खिल जाई
ऊ खिल के खिलखिलाई
जब ताल में मछली डोली
डाली पर बुलबुल बोली
सुहाना, चिरईयन कऽ शोर लागी
कट जाई अन्हरिया,अजोर लागी

जब पवन कऽ झोंका डोली
ख़ुशबू मन में रस घोली
जब तितली उड़ि-उड़ि आई
लईकन कऽ मन ललचाई
सुहाना, सुबहिया कऽ भोर लागी
कट जाई अन्हरिया,अजोर लागी

जब ताल, तलैय्या, वादी
अँखिया के सुघ्घर लागी
जब देखके झील और झरना
अल्हड़पन मन में जागी
सुहाना,ईअंखियन कऽ कोर लागी
कट जाई अन्हरिया, अजोर लागी

जब स्वच्छ रही जलवायु
बढ़ जईंहें यौवन आयु
जब गमक उठी फुलवारी
ख़ुश रईंहें नर और नारी
सुहाना,फुलवरिया कऽ ठौर लागी
कट जाई अन्हरिया, अजोर लागी

जब सब केहू वृक्ष लगाई
अम्बर अमृत बरसाई
जब मेघ उमड़ के आई
धरती कऽ प्यास बुझाई
सुहाना, बिरवईया कऽ पोर लागी
कट जाई अन्हरिया,अजोर लागी

“चुन्नू”उडीहें चहक चिरईया
चहुओर देख हरियाली
जब फूल में लाली आई
स्वागत में झूकिहें डाली
सुहाना, ई चंदा चित्त चोर लागी
कट जाई अन्हरिया,अजोर लागी

/••• कलमकार •••/
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)✍️

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