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6 May 2024 · 1 min read

गुरु

गुरु
———
गुरु कहो ब्रह्म कहो
सदा हिय धार रहो
हरि ओम् बोल कर
प्रीत राग गाइये

वाणी कबीर की सुनो
वाणी जायसी की गुनो
स्वयं समझ कर ही
सबको बताइये

मानवता श्रेष्ठ धर्म
करो सदा सद कर्म
मानव कल्याण हेतु
इसे अपनाइये

गुरु ज्ञान का आधार
गुरु बिन निराधार
गुरु हाथ थाम कर
चलते ही जाइये।
————————
डा० भारती वर्मा बौड़ाई

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