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6 May 2024 · 1 min read

कोई जिंदगी में यूँ ही आता नहीं

कोई जिन्दगी में यूँ ही आता नहीं
आ जाए तो फिर निभाता नहीं

दो दिन की बस होती है ये दोस्ती
कोई उम्र भर ये निभाता नहीं

खुद के लिए बस रोता है आदमी
किसी के लिए गम उठाता नहीं

दिल तोड़ के औखे कर जाए नम
महोब्बत की रस्में निभाता नहीं

बड़ा दर्द देता है ये अपनों का गम
यूँ ही तो कोई आँसू बहाता नहीं

हो जाता है जब कोई दिल तार-तार
फिर कोई महफिल सजाता नहीं

भूला दे गर कोई चाहे अपनी वफा
मगर बेवफा को वो भुलाता नहीं

‘V9द’ की शख्सियत बस ऐसी ही है
बेतुकी बातें किसी को सुनाता नहीं

स्वरचित
V9द चौहान

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