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5 May 2024 · 1 min read

फकीरा मन

बन फकीरा घूमे मन इधर – उधर,
पीर पराई सबकी मांगे ये उधार,
रोक ना इसे, इसमें कर सुधार।
संवेदनशील हृदय पी हलाहल कहलाये शिवाय,
तन बने शिवालय, मन देवालय।
सिफर से शिखर पर पहुंचा,
हुआ मानव जीवन सफल।
क्या दूं तुझको नजराना मैं फकीरा,
झोली में मेरी हैं खुशियां हजार।

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