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5 May 2024 · 1 min read

"विद्यार्थी जीवन"

आंकड़ों के ज़माने में,
किताबों के आशियाने में;
स्वागत हैं।
कुछ मानने – मनाने में,
एक दूजे को समझाने में ;
स्वागत हैं।

ज्ञान संग व्यवहार से ,
विवेक संग स्वाभिमान से,
पुरजोश खुद को बनाने में;
स्वागत हैं।
भीतर से, बाहर से,
चाल- ढाल ; आहट से,
शख्सियत सजाने में,
स्वागत हैं।

कक्ष नहीं परिवार हैं,
कॉलेज नहीं घर बार हैं,
इसका सम्मान कहलाने में;
स्वागत हैं।
शुरू आपसे सरोकार हैं,
आपके खातिर ये दरबार हैं,
इस तालिमी मयखाने में;
स्वागत हैं।।

ओसमणी ‘ओश’ रायपुर (छत्तीसगढ़)

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