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5 May 2024 · 1 min read

दुनिया चतुर सयानी बाला।

दुनियां चतुर सयानी बाला।

अपने मादक हाव भाव से फुसलाती है बहलाती है,
जब उसकी माया चल जाती खूब हमें यह उलझाती है,
पीकर जिसे छोड़ना मुश्किल ऐसी सोम सुरा सी हाला।
दुनियां चतुर सयानी बाला।

एक बार दो चार हुए गर नयन, ज़हर उर तक जाते हैं,
इच्छाओं के सागर सातों मन को मथते भर जाते हैं,
नहीं सूखती जिसकी मदिरा मन बन जाता ऐसा प्याला।
दुनियां चतुर सयानी बाला।

किसी एक की बनकर जी ले इसका यह स्वभाव नहीं है,
सबको अपने अंग लगाती कोई भेद दुराव नहीं है,
यही सुरा है , ये साकी है , ये ही मयकश व मधुशाला।
दुनियां चतुर सयानी बाला।
कुमार कलहंस।

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