Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

ना रहीम मानता हूँ ना राम मानता हूँ

ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
कर्म ही बड़ा है इसीलिए,मैं बस काम जानता हूँ

धर्म मजहब के नाम पर, सदाचार खो रहे हो
जानते हो पर शिक्षा का, बस व्यवहार खो रहे हो
जिसको मिला भगवान, नहीं एक नाम जानता हूँ
कर्म ही बड़ा है…………

सत्ता का है सब खेल, देखो मंदिर बनवा रहे
समझते हो भला क्यों नहीं, विद्यालय खुलवा रहे
शिक्षित भी हैं जब मूक, मैं तो अज्ञान मानता हूँ
कर्म ही बड़ा है………….

जाकर किसी फकीर को, लकीर मत दिखा
मत बैठ भरोसे भाग्य के, मिले दो हाथ हैं कमा
जिसने किया है कर्म, मिली पहचान जानता हूँ
कर्म ही बड़ा है……………

लेकर गुरू से ज्ञान तुम, तकदीर बना लो
अंधकार को मिटा हृदय में, ज्योति जला लो
होंगे तब ही पूरे सभी, तेरे अरमान मानता हूँ
कर्म ही बड़ा है……………

जागे बिना इंसान के भी, हल न निकलेगा
“V9द” कितनी सीख दे, पर कुछ न बदलेगा
देना होगा हर एक जगह, इम्तिहान जानता हूँ
कर्म ही बड़ा है…………….

स्वरचित
V9द चौहान

2 Likes · 219 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VINOD CHAUHAN
View all

You may also like these posts

नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
Rj Anand Prajapati
गृहणी का बुद्ध
गृहणी का बुद्ध
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
01/05/2024
01/05/2024
Satyaveer vaishnav
अपनों से अपने जहां,करें द्वेष छल घात
अपनों से अपने जहां,करें द्वेष छल घात
RAMESH SHARMA
लड़ रहा सरहद पर कोई भाई,बेटा और पति
लड़ रहा सरहद पर कोई भाई,बेटा और पति
Shweta Soni
मिजाज़
मिजाज़
पं अंजू पांडेय अश्रु
মহাদেব ও মা কালীর কবিতা
মহাদেব ও মা কালীর কবিতা
Arghyadeep Chakraborty
हर खुशी मांग ली
हर खुशी मांग ली
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
जीवन अनंत की यात्रा है और अनंत में विलीन होना ही हमारी मंजिल
जीवन अनंत की यात्रा है और अनंत में विलीन होना ही हमारी मंजिल
Priyank Upadhyay
4845.*पूर्णिका*
4845.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*कफन*
*कफन*
Vaishaligoel
कुदरत की संभाल करो ...
कुदरत की संभाल करो ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
शीर्षक - शिव पार्वती
शीर्षक - शिव पार्वती
Neeraj Kumar Agarwal
कान भरने वाले सदा से ही आपके इर्द गिर्द ही है
कान भरने वाले सदा से ही आपके इर्द गिर्द ही है
पूर्वार्थ
मैदानी क्षेत्र में जैसे नदिया बहती
मैदानी क्षेत्र में जैसे नदिया बहती
Acharya Shilak Ram
फितरत आपकी जैसी भी हो
फितरत आपकी जैसी भी हो
Arjun Bhaskar
..
..
*प्रणय प्रभात*
आज़ पानी को तरसते हैं
आज़ पानी को तरसते हैं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
"कुछ तो गुन गुना रही हो"
Lohit Tamta
मकरंद
मकरंद
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
तेरे ख़्याल में हूं,मैं तेरे ज़िक्र में हूं ,
तेरे ख़्याल में हूं,मैं तेरे ज़िक्र में हूं ,
Dr fauzia Naseem shad
होली
होली
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"जुबांँ की बातें "
Yogendra Chaturwedi
" मुझे नहीं पता क्या कहूं "
Dr Meenu Poonia
अहाॅं बाजू नै बाजू पैर बजै पेजनियाॅं
अहाॅं बाजू नै बाजू पैर बजै पेजनियाॅं
उमा झा
फ़लसफ़े - दीपक नीलपदम्
फ़लसफ़े - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रामपुर*
*पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रामपुर*
Ravi Prakash
सावन का ,
सावन का ,
Rajesh vyas
रक्तदान जिम्मेदारी
रक्तदान जिम्मेदारी
Sudhir srivastava
"वक्त के साथ"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...