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4 May 2024 · 1 min read

बाद मुद्दत के

जो कही
बाद मुद्दत के
तुम मुझे मिल जाओ

कैसा लगेगा तुम्हें
क्या लगेगा मुझे !
ढल रही थी शाम
रंग कितने बिखरे थे
फिर स्याह अंधेरे मे
डूब गया था आसमान
सहसा ही जल उठी थी
एक एक करके
सभी लाइट्स मेरे शहर की
दूर तक
उजालो ने रच दिया था
जैसे इक जादू
शायद मुझे ऐसा ही लगेगा
बाद मुद्दत के
जो तुम मुझे मिल जाओ

Language: Hindi
258 Views
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