Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 2 min read

शीर्षक – वेदना फूलों की

खूबसूरत फूलों के बाग में
एक दिन एक माली आया
रोज़ की तरह आया
इस बार उसने एक
नन्हें फूल को तोड़ना चाहा

नन्हें फूल ने कहा रुको……
अभी मुझे मत तोड़ो
मुझे सही से खिलने तो दो
मैं फूल हूं तो क्या
मुझे आज़ादी नहीं खिलने की क्या
मुझे कहां जाना होगा
यह निर्णय मेरा नहीं क्या

माली ने हंसते हुए कहा ……
तुम फूल हो सुगंध बिखेर सकते हो
दूसरों को सुशोभित कर सकते हो
इसके अलावा तुम्हें कोई कार्य नहीं है
यह सोचना व्यर्थ है कि…….

तो फूल ने कहा……. अगर ऐसा है तो
क्या फूल बनना मेरा अभिशाप नहीं

माली ने फिर कहा…..
प्रकृति का सुंदर वरदान हो तुम
मनुष्य की आंखों में समाए हो तुम

फूल ने फिर कहा ……
लेकिन मेरी आज़ादी तो तुम्हारे हाथों में है
तुम मुझे देवताओं को अर्पित करो
या किसी दुष्ट के गले का हार बनाओ
या वीर शहीदों के शवों पर मेरी शोभा बढ़ाओ
या किसी स्त्री के बालों में गूंथा जाऊं

माली ने फिर कहा कि…………
तुम फूल हो तुम्हारा कर्तव्य ही है महकना
तुम्हारी नियति ही है दूसरों को भाना
क्योंकी फूलों को सभी प्रेम करते हैं
और प्रेम की बेदी पर कुचलते हैं
यहीं भावना सब में होती है
अगर कोई तुमसे सच्चा प्रेम करता तो
तुम्हें अपने पैरों तले न रौंदता
ऐसा कृत्य करते हुए जहां उसे अहसास भी नहीं होता है
ख़ुद को सजाने हेतु तुम्हें न तोड़ता
वो तुम्हें तुम्हारे हाल में छोड़ता
तब ये सारी प्रकृति कितनी सुंदर होती
लेकिन तुम्हें तोड़कर उसने
तुम्हारे साथ साथ दूसरों को भी
अभिशाप दिया है
तुम ख़ुद टूटकर गिरते तो
बेजान गालियां भी खिल उठतीं
तुम्हारी चमक से दुनियां चमक उठती
तुम्हारी महक से दुनियां महक उठती
तुम्हारी सुंदरता से दुनियां
रंग बिरंगी और सुंदर होती
लेकिन स्वार्थ किसी का भी हो
सम्मान नहीं देता है
और लाभ तो दूर की बात है
कुछ क्षण के लिए खुशियां मिल सकती हैं तुम्हें तोड़कर
लेकिन तुम्हारे जीवित रहते सभी को खुशियां ही मिलती
प्रकृति सुशोभित और सुंदर रहती
तुम्हारे जीवित रहने से यह प्रकृति भी जीवित रहती
_ सोनम पुनीत दुबे

4 Likes · 356 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
View all

You may also like these posts

प्रेम, प्रार्थना सफल है केवल पूर्ण विश्वास से,
प्रेम, प्रार्थना सफल है केवल पूर्ण विश्वास से,
jyoti jwala
Life
Life
Neelam Sharma
रोला छंद. . . . बाल दिवस
रोला छंद. . . . बाल दिवस
sushil sarna
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बायण बायण म्है करूं, अवरां री नह आस।
बायण बायण म्है करूं, अवरां री नह आस।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
क्या छिपा रहे हो
क्या छिपा रहे हो
Ritu Asooja
*अपने भारत देश को, बॉंट रहे हैं लोग (कुंडलिया )*
*अपने भारत देश को, बॉंट रहे हैं लोग (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
मैं और वो
मैं और वो
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
दहेज प्रथा
दहेज प्रथा
Savitri Dhayal
वो चिट्ठी
वो चिट्ठी
C S Santoshi
*नवरात्रि के इन पावन पर्व में ...*
*नवरात्रि के इन पावन पर्व में ...*
Shashi kala vyas
बन्दगी
बन्दगी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
"शहीद साथी"
Lohit Tamta
दुर्योधन की पीड़ा
दुर्योधन की पीड़ा
Paras Nath Jha
sp 48 नदिया का तीर
sp 48 नदिया का तीर
Manoj Shrivastava
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
My love and life
My love and life
Neeraj kumar Soni
मेरे  गीतों  के  तुम्हीं अल्फाज़ हो
मेरे गीतों के तुम्हीं अल्फाज़ हो
Dr Archana Gupta
रास्तों में फिर वही,
रास्तों में फिर वही,
Vishal Prajapati
गीत गाती हूँ।
गीत गाती हूँ।
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
रमल मुसद्दस महज़ूफ़
रमल मुसद्दस महज़ूफ़
sushil yadav
"वक्त"
Dr. Kishan tandon kranti
वो दिन भी क्या दिन थे
वो दिन भी क्या दिन थे
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
शेखर सिंह
हम भी है परमेश्वर के संतान ।
हम भी है परमेश्वर के संतान ।
Buddha Prakash
Isn't it strange how some friendships
Isn't it strange how some friendships
पूर्वार्थ
वेयरहाउस में सड़ गया
वेयरहाउस में सड़ गया
Dhirendra Singh
कुछ खयाल हैं जो,
कुछ खयाल हैं जो,
Manisha Wandhare
हाइकु -सत्य की खोज
हाइकु -सत्य की खोज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...