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3 May 2024 · 1 min read

शुभांगी छंद

शुभांगी छंद

मधुर अमी रस,जिमि अमृत यश,इसके आगे,सब फीका।
मृदुल वचन प्रिय,छुअत सहज हिय,कोमल भावन,अति नीका।

सत्य कथन में,शुभ्र कर्म में,धर्म पंथ है,गुणकारी।
दृढ़ इच्छा ही,अटल संपदा,धनी वही है,सुखकारी।

जो पवित्र है,स्वच्छ वस्त्र है,वास इत्र है,अविकारी।
मोहित करता,खुश है जनता,निर्णय हितकर,शिवकारी।

जिसके दिल में,काबिल मन में,गंगा बहती,वह उत्तम।
न्याय दिलाता,प्रेम पिलाता,ज्ञान सिखाता,सर्वोत्तम।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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