Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

तो कुछ और बात होती

हमको अगर मिलता मोहब्बत में ज़रा सा भी इशारा तो कुछ और बात होती।

डूब रही थी नैय्या, मिल जाता अगर किनारा तो कुछ और बात होती।

अंधेरा था फैला हुआ चारों तरफ़, झिलमिलाता कोई सितारा तो कुछ और बात होती।

बेघर था मुसाफिर, बेचैन घूम रहा था, मिल जाता उसे कोई सहारा तो कुछ और बात होती।

यूं न होते हम अकेले जिंदगी के सफर में, अगर आके थाम लेता कोई हाथ हमारा तो कुछ और बात होती।

1 Like · 92 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

भावों की अभिव्यक्ति का
भावों की अभिव्यक्ति का
Dr fauzia Naseem shad
मैं वहाँ दूर से चमकता हुआ उस आईने को ऐसे देखा करता जैसे मेरी
मैं वहाँ दूर से चमकता हुआ उस आईने को ऐसे देखा करता जैसे मेरी
Jitendra kumar
पैरों की धूल को जिसने चंदन किया
पैरों की धूल को जिसने चंदन किया
करन ''केसरा''
मोहने को मोहन मोहिनी रूप धरे,
मोहने को मोहन मोहिनी रूप धरे,
श्याम बाबू गुप्ता (विहल)
आदमी
आदमी
Ruchika Rai
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
सत्य कुमार प्रेमी
गीतिका
गीतिका
जगदीश शर्मा सहज
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" चिराग "
Dr. Kishan tandon kranti
चौपाला छंद:-राम नाम का मर्म
चौपाला छंद:-राम नाम का मर्म
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
अफसाने
अफसाने
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बथुवे जैसी लड़कियाँ /  ऋतु राज (पूरी कविता...)
बथुवे जैसी लड़कियाँ / ऋतु राज (पूरी कविता...)
Rituraj shivem verma
झुलसता जीवन
झुलसता जीवन
C S Santoshi
अभिलाषा
अभिलाषा
indu parashar
काम क्रोध मद लोभ के,
काम क्रोध मद लोभ के,
sushil sarna
हनुमान वंदना/त्रिभंगी छंद
हनुमान वंदना/त्रिभंगी छंद
guru saxena
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
आज सत्य को जानने का अवसर।
आज सत्य को जानने का अवसर।
Ravikesh Jha
कुछ लोग
कुछ लोग
Dr.Pratibha Prakash
तेरे हृदय की पीड़ा का भान, बस एक तू हीं समझ पायेगा,
तेरे हृदय की पीड़ा का भान, बस एक तू हीं समझ पायेगा,
Manisha Manjari
मजदूर हूँ मजबूर हूँ - कोरोना काल में लिखी गयी रचना
मजदूर हूँ मजबूर हूँ - कोरोना काल में लिखी गयी रचना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उनसे पूछो जिसने यह एहसान किया
उनसे पूछो जिसने यह एहसान किया
Shweta Soni
* भीम लक्ष्य **
* भीम लक्ष्य **
भूरचन्द जयपाल
শিব ও কালীর গান
শিব ও কালীর গান
Arghyadeep Chakraborty
कहानी-
कहानी- "खरीदी हुई औरत।" प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
"यहां हमारी सारी ख्वाहिशें निर्माणाधीन हैं ll
पूर्वार्थ
शेख़ लड़ रओ चिल्ली ते।
शेख़ लड़ रओ चिल्ली ते।
*प्रणय प्रभात*
Khata kar tu laakh magar.......
Khata kar tu laakh magar.......
HEBA
मौतों से उपजी मौत
मौतों से उपजी मौत
Dr MusafiR BaithA
*खाकर नित पीली धूप सुखद, जाड़े का पर्व मनाऍं हम (राधेश्यामी
*खाकर नित पीली धूप सुखद, जाड़े का पर्व मनाऍं हम (राधेश्यामी
Ravi Prakash
Loading...