Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

मुझे उड़ना है

मुझे उड़ना है खात् में,
पंखविहीन न करना तुम।
मुझे लड़ना है समय से,
गतिहीन न करना तुम॥

उस शून्य की पहेलियों को,
बूझना है मुझे।
अनंत, असार नीरव द्यौ से
कुछ पूछना है मुझे॥

चूमती अंबर उन
अट्टालिकाओं पर,
हिमाद्री पर देवदारु की
विशाखाओं पर।
अपने इन परों से ही
ख्वाब बुनना है मुझे।
सुनहले कल के मोतियों को
चुनना है मुझे।

बयार संग उड़ते
धूल के गुबारों से,
शिखर संग अठखेली करती
सिकोया की कोंपलों से
अपने इन परों से ही
कुछ कहना है मुझे,
संग उनके ही हवाओं में
बहना है मुझे।

किसी अलसाते शुष्क परबत की
खोहों में
किसी ठूठ रेतीले तरु की
परुष खोखरों में
अपने पखों को रगड़ती
गौरैया से
अपने इन परों से ही
बतकही करनी है मुझे,
विशाल सागर की
जलराशि की मचलती चादर से
गलबही करनी है मुझे।

अपने खुरदरे स्पर्श से
मेरे पच्छों को मत छूना,
अपनी ललचाती असंवेदना से
मेरी संवेदना को मत छूना।
तोड़कर मेरे पखों की
कशेरुकाओं को
तुम्हे क्या मिलेगा?
हा! पामर तेरा निष्ठुर अंतर्
न बिखरेगा?

मेरा अस्तित्व हाँ मेरे परों से है,
ज्यूँ तूणीर सजता शरों से है।
अपने परों से ही मुझे
ये भव झेलना है,
बिछती छलावे की
शतरंज को खेलना है॥

#सोनू_हंस

Language: Hindi
167 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

हाल
हाल
seema sharma
क्यों छोड़ गई मुख मोड़ गई
क्यों छोड़ गई मुख मोड़ गई
Baldev Chauhan
उल्फत का दीप
उल्फत का दीप
SHAMA PARVEEN
भ्रम और तसल्ली
भ्रम और तसल्ली
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यात्रा
यात्रा
Sanjay ' शून्य'
#आध्यात्मिक_रचना-
#आध्यात्मिक_रचना-
*प्रणय प्रभात*
"अपने घर के सबसे बडे़ लडके हैं हम ll
पूर्वार्थ
पीहर आने के बाद
पीहर आने के बाद
Seema gupta,Alwar
कर देंगे आतंक के,
कर देंगे आतंक के,
sushil sarna
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों - डी के निवातिया
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
*हे तात*
*हे तात*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
युँ खुश हूँ मैं जिंदगी में अपनी ,
युँ खुश हूँ मैं जिंदगी में अपनी ,
Manisha Wandhare
कभी कभी एक पल
कभी कभी एक पल
Mamta Rani
हरेली तिहार
हरेली तिहार
पं अंजू पांडेय अश्रु
ड़ माने कुछ नहीं
ड़ माने कुछ नहीं
Satish Srijan
और कितना दर्द दें
और कितना दर्द दें
हिमांशु Kulshrestha
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
खो गईं।
खो गईं।
Roshni Sharma
यादेँ
यादेँ
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
Dr Archana Gupta
" घर "
Dr. Kishan tandon kranti
क्षणिका
क्षणिका
Vibha Jain
हे गृहस्थ..!
हे गृहस्थ..!
मनोज कर्ण
महिला दिवस विशेष दोहे
महिला दिवस विशेष दोहे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
भोजपुरी गजल
भोजपुरी गजल
अवध किशोर 'अवधू'
हाँ ये सच है
हाँ ये सच है
Saraswati Bajpai
गीत- हरपल चाहूँ तुझे निहारूँ...
गीत- हरपल चाहूँ तुझे निहारूँ...
आर.एस. 'प्रीतम'
हमसफर की आहट
हमसफर की आहट
Shutisha Rajput
Loading...