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2 May 2024 · 1 min read

अब चुप रहतेहै

लापरवाही करते रहने में ही भलाई है
परवाह करते हैं तो कुछ लोग ग़लत समझ लेते हैं
हम मानवता का छाता ओढ़ कर चलते हैं
कुछ लोग अपने मन से ही कहानी गढ़ लेते हैं।
रूह का नाता आज कल कहां समझते हैं
जिंदगी की किताब मेंयूंही इश्क का पन्ना जोड़ देते हैं
कांधे पर जिम्मेदारी का थैला जो अभी लटके रहते हैं
निभाऊं पूर्ण रूप से निभाऊ मै तन मन से लगे रहते हैं
मिलजुल कर रहना हमारा आंतरिक स्वभाव है
बातों से हमारी कभी ठेस किसी को भी नहीं पहुंचे
सुन कर भी हम अब चुप्पी साध कर रह लेते हैं।
सच में सहन ना होगी अब अनर्गल बातें सारी
बिखरे जाएंगे या बिफर जाएंगे कह देते हैं।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान

Language: Hindi
1 Like · 157 Views
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