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2 May 2024 · 1 min read

स्कूल बैग

स्कूल बैग
————
जाने अनजाने में बचपन पीछे छोड़ आया
पता आज चला, स्कूल बैग जब सामने आया।।1।।

जुड़ी हुई हजारों यादों से भरा था वो बैग
ले जाते थे हररोज उसमे करके सपने कैद।।2।।

पटिया पेंसिल के साथ होती रहती थी गुफ्तगू
सिरहाने रख के सोते उसको करने जुस्तजू।।3।।

दिल हमारा कभी बहलता रंगबिरंगी खड़िया से
पीठ पर लादे बैग को, पीछे पड़ते चिड़िया से।।4।।

एक दो किताबों का, तो ही उतना बोझ था
कितने पन्ने गायब होते,फिर भी कभी अफसोस न था।।5।।

डिब्बे में मिलते पराठे और आचार सबके
बड़े ही चाव से खाते मिल बाट के उसको।।6।।

प्रश्न हमे मिलते लिख के पटिया पे सुलझाने को
अक्षर मिट जाते घर तक आते हमे उलझाने को।।7।।

चिंता हमे कभी न सताती क्या होगा कल की तारीख को
तैयार रहते हमेशा से मास्टरजी की मार खाने को।।8।।

झगड़े होते दोस्तों में, पहले बैग ही काम आता
फेंक के मारते बैग उसको, अपना काम चल जाता।।9।।

टूट जाती पटिया और फट जाती किताबे
ढूंढने पड़ते हमे, बचने के सैकड़ों बहाने।।10।।

रक्खे हुए हैं आज भी उस बैग के अंदर
पीपल के जालीदार पत्ते, मयूरपंख,
रंगबिरंगी खड़िया, रंगबिरंगी पत्थर ।।11।।

सालों बाद हाथ में आया वही बैग सामने को
ताजा हुईं बचपन की यादें फिरसे बचपन दिलाने को।।12।।

मंदार गांगल “मानस”

Language: Hindi
1 Like · 112 Views
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