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2 May 2024 · 1 min read

वक्त की दहलीज पर

वक्त की दहलीज पर

ओ मेरे खुदाया
तूने इंसान को बनाया
देख इंसान ने ही इंसान की
हालत क्या कर दी
वक्त की दहलीज पर
पर भी एक अजीब सी
कशमकश पैदा कर दी ।

छीन कर खुद से भाग्य खुद का
अपने लिए एक दीवार खड़ी कर दी
नहीं समझ रहा वह दर्द किसी का
एक बेरुखी सी उसने
माहौल में पैदा कर दी।

अनजानो को तो छोड़ो
उसने अपनों पर ही
तलवार खड़ी कर दी
अपनेपन के रिश्तों में भी
वक्त की दहलीज पर
दीवार ईर्ष्या की
चिन कर तैयार कर दी।

हरमिंदर कौर, अमरोहा( उत्तर प्रदेश)

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