Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

कड़वा सच

कड़वा सच

सीधा बोलो, सच बोलो और मुंह पर बोलो जो अपने होंगे,
वो समझ जाएंगे, और जो नाम के होंगे, वो दूर हो जाएंगे।
सुप्रभात…

580 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

‌‌‍ॠतुराज बसंत
‌‌‍ॠतुराज बसंत
Rahul Singh
बस इतना हमने जाना है...
बस इतना हमने जाना है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
छींके में खीर (बाल कविता)
छींके में खीर (बाल कविता)
Ravi Prakash
**मौत का इन्किशाफ़**
**मौत का इन्किशाफ़**
sareeka
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
तुम अमीर हो..? तब भी मरोगे, तुम गरीब हो..? तब भी मरोगे, तुम्
तुम अमीर हो..? तब भी मरोगे, तुम गरीब हो..? तब भी मरोगे, तुम्
पूर्वार्थ देव
क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023
क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023
Sandeep Pande
दूब और दरख़्त
दूब और दरख़्त
Vivek Pandey
अब कहां पहले जैसा बचपन
अब कहां पहले जैसा बचपन
Seema gupta,Alwar
मोहब्बत की ज़मीन पर.......
मोहब्बत की ज़मीन पर.......
sushil sarna
वो जरूर आएगी
वो जरूर आएगी
अनिल कुमार निश्छल
चाहे कितना भी ऊंचा पद प्राप्त कर लो, चाहे कितनी भी बडी डिग्र
चाहे कितना भी ऊंचा पद प्राप्त कर लो, चाहे कितनी भी बडी डिग्र
पूर्वार्थ
दुश्मन से भी यारी रख। मन में बातें प्यारी रख। दुख न पहुंचे लहजे से। इतनी जिम्मेदारी रख। ।
दुश्मन से भी यारी रख। मन में बातें प्यारी रख। दुख न पहुंचे लहजे से। इतनी जिम्मेदारी रख। ।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मीठी वाणी
मीठी वाणी
Kavita Chouhan
🙅आज-कल🙅
🙅आज-कल🙅
*प्रणय प्रभात*
और क्या ज़िंदगी का हासिल है
और क्या ज़िंदगी का हासिल है
Shweta Soni
9. Thy Love
9. Thy Love
Ahtesham Ahmad
*नसीहत*
*नसीहत*
Shashank Mishra
फितरत के रंग
फितरत के रंग
प्रदीप कुमार गुप्ता
" मैं "
Dr. Kishan tandon kranti
बोट डालणा फरज निभाणा -अरविंद भारद्वाज
बोट डालणा फरज निभाणा -अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
नीर सा मन
नीर सा मन
Manoj Shrivastava
ईश्वर की दृष्टि से
ईश्वर की दृष्टि से
Dr fauzia Naseem shad
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
शेखर सिंह
ଏହା ହେଉଛି ସମୟ
ଏହା ହେଉଛି ସମୟ
Otteri Selvakumar
माँ की वसीयत
माँ की वसीयत
Indu Nandal
घनाक्षरी
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कैसा है यह पागलपन !!
कैसा है यह पागलपन !!
ओनिका सेतिया 'अनु '
3651.💐 *पूर्णिका* 💐
3651.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
नैन
नैन
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
Loading...