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1 May 2024 · 1 min read

मैं मजदूर हूं

मजदूर दिवस

मैं मजदूर हूं
————–
लिखा क्या था मेरी किस्मत ने
आ पड़ा मैं मजदूर जमात में।।

ना तो मैं अनपढ़ था ना गंवार
जीवन जीने की कोशिशें थी चार।।

हालात बने ऐसे बन गया लाचार
परिश्रम करता हूं,पर सब बेकार।।

देती है सरकारें, योजनाएं हजार
आते आते स्याही मिटती कागज पार।।

मई के पहिले दिन, याद आती सबको बेबसी
छुट्टी शौक से मनाते, हम रह जाते प्यासी।।

शतकों का संघर्ष रहा,कोई न हुआ आबाद
मालिक फलते ही रहे,हम बन गए खाद।।

ना तो हूं मैं मार्क्सवादी ,ना ही कम्युनिस्ट
चाहता हूं बस, दो जून के रोटी की फीस्ट ।।

आत्मसम्मान मुझ में है भरा पूरा
जीने के लिए कोई तो हमे दे चुरा।।

खाऊंगा रोटी परिश्रम की कमा के
कोई तो समझे हमे इन्सानी तरीके से।।

आती है व्यथा दिल से होठों तक कभी
कोई तो हो, जो हमारी सोचे तभी।।

बचता है एक ही तरीका आपको बताने का
हमारी परेशानी, लेखनी से जागरण करने का।।

मंदार गांगल “मानस”
01 मे 2024

Language: Hindi
128 Views
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