Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2024 · 1 min read

ध्रुव तारा

नभ मे तारे अगणित है,पर ध्रुव की बात निराली है !
अमावस्या या पूर्णमासी उसकी स्थिति स्थिर वाली है!!
पर मानव ने उसको कभी अपना आदर्श नही माना,
बदले संदर्भो मे स्थितिया बदल गिरगिट अपना ली है!!
भोर से लेकर साझ तक यह कितने रंग बदलता है?
मानव ने बदले चाल-चलन,धर्म आस्था बदल डाली है!!
स्वार्थ,समय,समर्पण पर पल-पल ढंग बदलता मानव,
इससे बडा न कोई नेता या अभिनेता करतूते काली है!!
छल छद्म वेष धर रावण यदि मृग बन सीता छलता है,
कृष्ण ने भी मानव रुप मे अपनी सीमा बदल डाली है!!

सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुज फेस -2 ,सिकंदरा,आगरा -282007
मो:9412443093

Language: Hindi
1 Like · 190 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Bodhisatva kastooriya
View all

You may also like these posts

गणेश चतुर्थी के शुभ पावन अवसर पर सभी को हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ...
गणेश चतुर्थी के शुभ पावन अवसर पर सभी को हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
स्वदेशी कुंडल ( राय देवीप्रसाद 'पूर्ण' )
स्वदेशी कुंडल ( राय देवीप्रसाद 'पूर्ण' )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*** मुफ़लिसी ***
*** मुफ़लिसी ***
Chunnu Lal Gupta
कुंडलिया
कुंडलिया
अवध किशोर 'अवधू'
रजस्वला
रजस्वला
के. के. राजीव
प्यार के मायने बदल गयें हैं
प्यार के मायने बदल गयें हैं
SHAMA PARVEEN
“फेसबूक का व्यक्तित्व”
“फेसबूक का व्यक्तित्व”
DrLakshman Jha Parimal
कदम
कदम
Sudhir srivastava
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
manjula chauhan
प्रेम के वास्ते
प्रेम के वास्ते
Mamta Rani
🙅स्लो-गन🙅
🙅स्लो-गन🙅
*प्रणय*
ग़ज़ल _ गुलाबों की खुशबू सा महका करेगें।
ग़ज़ल _ गुलाबों की खुशबू सा महका करेगें।
Neelofar Khan
जल है, तो कल है - पेड़ लगाओ - प्रदूषण भगाओ ।।
जल है, तो कल है - पेड़ लगाओ - प्रदूषण भगाओ ।।
Lokesh Sharma
तड़पने के लिए हर पल भले मजबूर करता है
तड़पने के लिए हर पल भले मजबूर करता है
आकाश महेशपुरी
हमारा सुकून:अपना गाँव
हमारा सुकून:अपना गाँव
Sunny kumar kabira
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम जाते हो।
तुम जाते हो।
Priya Maithil
जीवन...!!
जीवन...!!
पंकज परिंदा
**जिंदगी रेत का ढेर है**
**जिंदगी रेत का ढेर है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लिखना
लिखना
पूर्वार्थ
प्रकृति का प्रतिशोध
प्रकृति का प्रतिशोध
ओनिका सेतिया 'अनु '
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Ram Krishan Rastogi
sp33 हर मानव एक बूंद/ आशा और निराशा
sp33 हर मानव एक बूंद/ आशा और निराशा
Manoj Shrivastava
- मोहब्बत महंगी और फरेब धोखे सस्ते हो गए -
- मोहब्बत महंगी और फरेब धोखे सस्ते हो गए -
bharat gehlot
विरह की वेदना
विरह की वेदना
surenderpal vaidya
चाहकर भी जता नहीं सकता,
चाहकर भी जता नहीं सकता,
डी. के. निवातिया
मोबाइल की चमक से भरी रातें,
मोबाइल की चमक से भरी रातें,
Kanchan Alok Malu
राम जपन क्यों छोड़ दिया
राम जपन क्यों छोड़ दिया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हमारे ख्याब
हमारे ख्याब
Aisha Mohan
Loading...