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1 May 2024 · 1 min read

क्षणभंगुर

कथाओं से लिपटा यह जीवन,
इच्छा अभिलाषाओं का जीवन,
पाकर सब खोने तक जाकर,
फिर से नव निर्माण का जीवन…

जीवन सांसो के रहने तक का,
अहं, राग और द्वेष, कपट का,
उठ कर गिरने की करूण व्यथा, मिलन बिछोह की सतत् कथा…

यह कथा सुखों की छाया की,
संताप दुखों की माया की,
और उन सब की जो सोच सको,
जब तक है जीवन चले चलो…

फिर तो एक अवसान अडिग है,
एक नितांत एकांत अडिग है,
तब बस एक वो खाली पथ है,
फिर लगता सब क्षणभंगुर है…

जब साथ वो अंर्तजाल चलेगा,
किया धरा सब साथ चलेगा,
उस पथ पर तब केवल तू होगा,
रोता, हंसता फिर चलता होगा….
© विवेक’वारिद’ *

Language: Hindi
1 Like · 149 Views
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