Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2024 · 2 min read

रुत चुनावी आई🙏

रुत चुनावी आई🙏
🍀☘️🙏🙏🌿🌿🌿🌿
नेताजी रुतबा पंचबरसीय
जनता के आंखों की मिरची

माँ भारती की ये राजदुलारे
सिंहासन की हैं शोभा पाते

ले सपथ बैठते आसान प्यारे
सत्ता भत्ता महत्ता गुरुर भरपूर

सुहानी रुत चुनाव की आई
रुतबा की रूत भीड़ दिखाती

लौटी नेताजी की जुवानी है
हाथ जोड़ते गले मिलाते हैं

कोई नहीं पहचान भीड में हैं
मन ही मन स्वयं को कोसता

बीते कल को याद कर करके
जाग उठे हैं नेताजी अनजानी

झूठे सच्चे वादों को भूल
मैंजिक मुद्दे को लिए हुए

चुनावी भूकम्प तीव्रता में
हिलते डुलते नजर आते हैं

मानस सपना बना खंडहर है
आश विकास चकनाचूर हुआ

क्षेत्र बदल नेता जी बदलते हैं
वागी जंग बद जुवानी छिड़ता

मिड़िया लाइव तुल पकड़ जन
मानस को मानसिकता दिखाते

धिक्कार हुंकार का रंगमंच सजाते
कसमें वादे पूरा करने की वचन को

गला फाड़ दे जाते हैं ??
रैली रैला की शैली भी छबीला

नाच गान कलाकारों का मेला
जनता जुटते कर ठेलम ठेला

मनमोहक मोहनी घोषणा पत्र
समझा छदम् जय घोष करते हैं

जागरूक जनता समझ विचार
कर मान ठान लेता रैली में ही

सीख सिखानें की रूत आई है
अंहकारभरी बद ज़ुवानों को

जन भाव विमुख कदाचारों को
धर्म कर्म भूल भुलक्कड पाखंड़ो

को महामण्डलेश्वर चक्क्षु खोलने
नर नारायण ही जनता जर्नादन

सत्ता मद्होशी कब समझता है
सत्ते भत्ते रुतवे मज़े से नेताजी

मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे दहलीज
माथाटेक जन जन को दिखाते

मत वटोरने की ठीक रुत आई
होशियारी में बटोर नहीं पाते हैं

क्योंकि जनता उठ जाग पड़ी
कभी कनक खेतो की क्यारी

किसान गरीब गली नाली संग
झाडू पोंछा लिए नेताजी हाथ

नगर मुहल्ले जुग्गी झोपड़ी में
तलते समोसे छलनी से जन

दिल छल छलनी कर डाले हैं
रंगमहल से रज महल आए हैं

बेकूफ़ी की चाल समझाते हैं
अपनी हाल पर छोड़ जनता

सत्ते का भोग लगाते नेताजी
नर नारयण रोता पांच बरस

जन मानस सब समझता है
विकास परिवर्त्तन बेरोजगारी

मुद्दा समझ विचार बटन दबाता
तीन रंगों बना स्वभिमान तिरंगा

झुका नहीं झुकने नहीं देगा ये
धर्म कर्म विश्वास से गद्दी देता

पाँच बरस में बस एक दिनवाँ
अंगूठे की शक्ति दिखाता जन

रोते बिलखते नेताजी भूतपूर्व
हो काश ? ये करता ! वो करता !

स्वयं ही स्वयं को समझाता है
जैसी करनी वैसी भरणी . . ?

नये पंचवर्षीय योजना बना नये
चुनावी जीत से नयी रूत लाता

भावना सेवा जनता की जो समझे
मत की महत्ता मर्यादा को समझे

वही जन गण मन के प्यारे होते
वही स्वर्ण सिंहासन शोभा पाते ॥
🌷☘️🍀🙏🙏🌿❤️🍀🌹🌹
तारकेशवर प्रसाद तरूण

Language: Hindi
149 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
View all

You may also like these posts

मुझे मालूम हैं ये रिश्तों की लकीरें
मुझे मालूम हैं ये रिश्तों की लकीरें
VINOD CHAUHAN
Lets become unstoppable... lets break all the walls of self
Lets become unstoppable... lets break all the walls of self
पूर्वार्थ
कुछ न जाता सन्त का,
कुछ न जाता सन्त का,
sushil sarna
" बढ़ चले देखो सयाने "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
दोहा निवेदन
दोहा निवेदन
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
एक साधना
एक साधना
विशाल शुक्ल
एक वो भी दौर था ,
एक वो भी दौर था ,
Manisha Wandhare
राधा
राधा
Mamta Rani
एक अलग ही दुनिया
एक अलग ही दुनिया
Sangeeta Beniwal
अब तो इस राह से,वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब तो इस राह से,वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
शेखर सिंह
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
Ravikesh Jha
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अब नहीं घूमता
अब नहीं घूमता
Shweta Soni
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
Nitin Kulkarni
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ईश्वर के दरबार में
ईश्वर के दरबार में
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
मुहब्बत
मुहब्बत
Mahendra Narayan
मानव जीवन
मानव जीवन
*प्रणय प्रभात*
*शिक्षक*
*शिक्षक*
Dushyant Kumar
न जाने क्या ज़माना चाहता है
न जाने क्या ज़माना चाहता है
Dr. Alpana Suhasini
जब तक सांसे चलेगी तेरा ही मैं लूंगा नाम
जब तक सांसे चलेगी तेरा ही मैं लूंगा नाम
कृष्णकांत गुर्जर
प्रेम की भाषा
प्रेम की भाषा
Dr fauzia Naseem shad
हर पाँच बरस के बाद
हर पाँच बरस के बाद
Johnny Ahmed 'क़ैस'
चाॅंद
चाॅंद
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
" समान "
Dr. Kishan tandon kranti
Tu chahe to mai muskurau
Tu chahe to mai muskurau
HEBA
करते रहो सुकर्म को सोचो न फल कभी
करते रहो सुकर्म को सोचो न फल कभी
Dr Archana Gupta
✍️ कलम हूं ✍️
✍️ कलम हूं ✍️
राधेश्याम "रागी"
शिखा
शिखा
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
तुम्हे बेइंतहा चाहा है।
तुम्हे बेइंतहा चाहा है।
Rj Anand Prajapati
Loading...