Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2024 · 1 min read

कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?

कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?

निरपराध को अपराधी कह
झूठ लिखोगे, कथा कहोगे।
फल देने वाले वृक्षों को
ठूँठ लिखोगे, कथा कहोगे।
अन्तर्मन जब धिक्कारेगा
राय भला लिक्खोगे कैसे?

कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?

शर्मसार होकर भी केवल
उसका ही गुणगान करोगे।
व्याध भले अपशब्द कहेगा
पर तुम तो सम्मान करोगे।
संबल रहित समय निज का
अध्याय भला लिक्खोगे कैसे?

कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?

धर्मभ्रष्ट अन्यायी जन को
पण्डित – संत महान लिखोगे।
मन जिनका कालिख से काला
तुम उनका सम्मान लिखोगे।
जिस दिन भी दुष्कर्म खुला
अत्याय भला लिक्खोगे कैसे?

कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?

पी ले अन्तस् व्यथा तुम्हारा
ऐसा गीत न लिख पाओगे।
बेंच आस्था निज जीवन में
निशा- दिवस तुम पछताओगे।
जिन पैसों से स्वयं को बेचा
आय भला लिक्खोगे कैसे?

कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?

सदा सत्य के पंथ ही चलना
प्रण कर लो यह लक्ष्य साध लो।
कठिन परिस्थिति में डिगने से
अपने मन को आज बाँध लो।
त्याग बिना परिचर्या का
पर्याय भला लिक्खोगे कैसे?

कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

Language: Hindi
Tag: गीत
194 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all

You may also like these posts

4180.💐 *पूर्णिका* 💐
4180.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जिसने जीवन सौगात दिये, उस प्रेमिल माता को नमन।
जिसने जीवन सौगात दिये, उस प्रेमिल माता को नमन।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
"आत्मा-परमात्मा,धड़कन और दिल का एक दिशा में जब संयोजन हो जात
Madhu Gupta "अपराजिता"
कुंभ का मेला (बाल कविता )
कुंभ का मेला (बाल कविता )
Ravi Prakash
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
Dr. Rajeev Jain
पर्वत, दरिया, पार करूँगा..!
पर्वत, दरिया, पार करूँगा..!
पंकज परिंदा
..
..
*प्रणय प्रभात*
वक्त ने जो दिए हैं मौके, कद्र कर लो,
वक्त ने जो दिए हैं मौके, कद्र कर लो,
पूर्वार्थ देव
जो चाहने वाले होते हैं ना
जो चाहने वाले होते हैं ना
पूर्वार्थ
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
Manju sagar
फ़ासला बेसबब नहीं आया
फ़ासला बेसबब नहीं आया
Dr fauzia Naseem shad
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक अरुण अतृप्त
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"महापाप"
Dr. Kishan tandon kranti
क्षणिकाएँ
क्षणिकाएँ
संतोष सोनी 'तोषी'
दनादन बरसे बम के गोला
दनादन बरसे बम के गोला
Santosh kumar Miri
तमाशा जिंदगी का हुआ,
तमाशा जिंदगी का हुआ,
शेखर सिंह
सुखी जीवन बनाने के लिए बहुत कम की आवश्यकता होती है; यह सब आप
सुखी जीवन बनाने के लिए बहुत कम की आवश्यकता होती है; यह सब आप
ललकार भारद्वाज
मित्र
मित्र
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कवियों का अपना गम
कवियों का अपना गम
goutam shaw
छुपे राज( ग़ज़ल)
छुपे राज( ग़ज़ल)
shaguphtarehman70
वो हर रोज़ आया करती है मंदिर में इबादत करने,
वो हर रोज़ आया करती है मंदिर में इबादत करने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कर दो काम तमाम
कर दो काम तमाम
Ramji Tiwari
जश्न आजादी का ....!!!
जश्न आजादी का ....!!!
Kanchan Khanna
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
Rj Anand Prajapati
विषय-मानवता ही धर्म।
विषय-मानवता ही धर्म।
Priya princess panwar
अधूरे उत्तर
अधूरे उत्तर
Shashi Mahajan
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
देखो! कहां राम है मेरा
देखो! कहां राम है मेरा
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
फिर वही खाली हाथ
फिर वही खाली हाथ
gurudeenverma198
Loading...